Why Productive India Must Function After 15 th April : डरपोक बाबुओं के ऊपर आर्थिक व्यवस्था न छोड़ें
इन्टरनेट पर पढ़ा की कुछ समर्थ बाबुओं ने देश मैं लॉक डाउन की अवधी बढाने की मांग की है . इसमें कोई आश्चर्य नहीं है !
सीधी बात है कि अगर कोरोना से बहुत मौतें हुईं तो सरकार व् बाबुओं से पूछताछ होगी पर नोटबंदी व् खराब जीएसटी की तरह अर्थ व्यवस्था को चौपट करने की जिम्मेवारी किसी की नहीं होगी और उसे दैविक प्रकोप बता कर छुट्टी पा ली जायेगी . तो ऐसे मैं जो भारतीय बाबु विकास दर को पाँच प्रतिशत पर ला कर अर्थ व्यवस्था की दुर्गति कर आज भी पदासीन हैं उनको विकास दर के और गिर कर तीन प्रतिशत भी होने से कोई नुक्सान नहीं होगा . पर कोरोना के केस कम होने से मोदी जी की संकट मोचक के रूप में जो वाहवाही होगी उससे उन सब को कुछ न कुछ लाभ अवश्य मिलेगा. अन्यथा देश मैं पिछले दो महीने से कोरोना पर चर्चाएँ अधिक पर उपाय बहुत कम हुए हैं ! प्रधान मंत्रि को गुमराह कर पिछले चार वर्षों मैं अर्थ व्यवस्था ऐसे ही चौपट हुयी है .
न तो प्रधान मंत्रि और न ही कोई और यह चाहता है कि भारतीय जनता की कीमती जान को व्यर्थ के खतरे मैं डाला जाय . परन्तु सर पर गठरी लेकर २५० किलोमीटर पैदल चल पड़ने वाले दिहाड़ी मजदूरों की भीड़ की कौन फ़िक्र करेगा . बिना कमाए सरकार भी कब तक पैसा बंटेगी ? लौक डाउन ने हमें बेशकीमती समय दिया था . परन्तु इन इक्कीस दिनों मैं जनता को सुरक्षित रखने व् अर्थ व्यवस्था को चालू करने के जो प्रयास होने चाहिये थे वह नहीं हुए . इन प्रयासों के अभाव मैं पूर्ण लॉक डाउन बढ़ाना सरकार की मजबूरी व् अक्षमता का प्रतीक होगा .
कोरोना के अब तक के भारत व् अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों से लाभ उठा कर एक ऐसी व्यवस्था बनाना संभव है जिससे देश की उत्पादक इकाइयों को १५ अप्रैल से शनैः शनैः शुरू किया जा सके . इसके लिए दक्षिण कोरिया के अनुभवों का लाभ लिया जा सकता है .
१.गृहणियों व् स्कूल कॉलज व् बच्चों व् बूढों पर लॉक डाउन पंद्रह दिन और चलने दिया जाय . इससे कोरोना फैलने की संभावनाओं व् बस व् लोकल की जरूरतों मैं भी कमी आयेगी .बहुत भीड़ भाड वाले सरकारी दफ्तरों , कोर्ट व् अन्य ऐसे संस्थानों को भी पंद्रह दिन और लोक आऊट मैं रखें पर घर से काम करने की कोशिश की जाय .शनिवार व् रविवार को लॉक डाउन जारी रखें व् व्यर्थ के घुमने पर प्रतिबन्ध जारी रखें .
२. रेल , बस , मेट्रो व् देशीय हवाई सेवाओं को मास्क , चश्मा व् दस्ताने पहने उन यात्रियों के लिए शुरू कर दिया जाय जिन को बुखार खांसी य जुकाम नहीं है . दक्षिण कोरिया की तरह स्टेशन , बस अड्डों , मेट्रो इत्यादि पर चेकिंग की व्यवस्था हो . बुखार वाले यात्री को दो हज़ार रूपये जुर्माना कर चौदह दिन की कुँरेंतिने मैं भेज दिया जाय . यात्रियों को यात्रा से पहले अपना बुखार नपवाने की जिम्मेवारी दी जाय. बसों व् लोकल मैं भीड़ कम रखने के उपाय किये जाएँ .
३. बड़े कारखाने व् फक्ट्रियाँ , सामान्य दफ्तर व् दूकानें जो सब कर्मचारियों व् आगंतुकों का बुखार दिन मैं दो बार आने व् जाने के समय नाप सकें व् डिस इन्फेक्शन , साबुन , हाथ धोने का इन्तिज़ाम कर सकें उनको खुलने की अनुमति दे दी जाय .अस्पताल पूरी अरह खोल दिए जाएँ . पर मास्क, चश्मा व् दस्ताने पहनना आवश्यक हो. अमेज़न , रेस्टोरेंट , होटल इत्यादि जो भी आगंतुकों व् कर्मचारियों का बुखार नापने की व्यवस्था कर सके उसे २५ तारिख से खुलने दिया जाय .कंस्ट्रक्शन के मजदूरों को भी इसी तरह २५ तारिख के बाद काम करने दिया जाय परन्तु साईट मेनेजर की जिम्मेवारी बुखार नापने की होगी .मजदूर को घर से बुखार नाप कर चलना आवश्यक हो और बुखार की हालत मैं काम पर आने पर दण्डित किया जाय .
४. घर मैं काम करने वालों का बुखार नापना घर के मालिक की जिम्मेवारी हो .
५ अगले पन्द्रह दिनों मैं स्कूल कोलेज व् अन्य सभी संस्थानों को बिना छुए बुखार नापने वाले यंत्र दिए जाएँ और फिर खोल दिया जाय .
६ . देश के हर नागरिक कोबहार हर समय दस्ताने , मास्क व् चश्मा पहनना हो और बुखार खांसी य जुकाम मैं बाहर न निकलने के बारे मैं सचेत किया जाय .
७. बूढों , आदिवासियों , मुसलमान बाहुल्य वाले इलाकों जहां बीसीजी के टीके न लगते हों विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है . घनी बस्तियों मैं सफाई व् दिस इन्फेक्शन की व्यवस्था की जाय व् स्वस्थ संबंधी जानकारी का व्यापक प्रचार किया जाय .
भीड़ भाड़ वाले सार्वजानिक त्यौहार ,फंक्शन , पूजाएँ इत्यादि एक महीने और न किये जाएँ .
८ सरकार को हर जिले मैं पर्याप्त स्वदेशी कोरोना टेस्टिंग किट व् इलाज़ की सुविधाएं दी जाएँ व् हर जिले मैं कुरेंताईंन करने की व्यवस्था की जाय .प्राइवेट डोक्टरों को इसमें सहयोगी बनाने मैं कोई नुक्सान नहीं है .दूर दराज़ व् गावों मैं इनका अपना महत्व है . उनका भर पूर उपयोग किया जाय . सब दवाएं प्रचुर मात्रा मैं उपलब्ध कराई जाएँ .हर बड़े शहर व् जिले मैं कोरोना के दो हज़ार बेड के विशेष अस्थायी अस्पताल खोले जाएँ व् तीसहजार नए सस्ते व् स्वदेशी वेंटीलेटर तुरंत आर्डर किये जाएँ . Walk through sanitisers can be installed .
९. भारतीम उपमहाद्वीप की आबादी बहुत व् घनी है . परन्तु बीसीजी के टीकों व् अन्य कारणों से कोरोना की प्रतिरोधकता ज्यादा है . स्पेन , अमरीका , इटली व् इंग्लैंड ने बीसीजी टीके बंद कर दिए इसलिए वहाँ कोरोना का प्रकोप ज्यादा है . वहां आने जाने पर प्रतिबन्ध जारी रहना चाहिए .इसलिए भारत मैं सही समय पर उचित उपाय करने से कारखानों को चालू करना संभव है . जो देश की अर्थ व्यस्था को खत्म नहीं करना चाहते उनको करोना से लड़ कर जीतने के उपाय सोचने चाहिए . यदि स्थिति बिगड़ी तो लॉक डाउन दुबारा लगाने के लिए तैयार रहना चाहिए .
अंत देश की अर्थ व्यवस्था को बचाना भी आवश्यक है .इस मैं शोले पिक्चर का अमर संवाद , ‘ जो डर गया समझो मर गया ‘ भी एक प्रतीकात्मक रूप से देश पर लागू हो सकता है . जनता को यदि इस युद्ध मैं शामिल कर पूरी तरह से हथियारों से लेस कर दिया जाय तो कोरोना पर विजय संभव है . डरपोक बाबुओं को अर्थ व्यवस्था से दूर कर दिया जाय उन्होंने देश का बहुत अहित पहले ही कर दिया है .
देश भक्ति व् साहस देश बंद करने मैं नहीं बल्कि देश चलाने मैं है !