दुर्योधन की तरह कोष लुटा ने से एक साल की कठिनाई अच्छी है : Fall of Rome and America ; Hidden Secret Of Money
( कंपनियों के सत्तर प्रतिशत लटके बिल का भुगतान indemnity बांड पर तुरंत करें )
अब जब देश कोरोना के साथ जीने का संकल्प कर आर्थिक स्थिति को सामान्य करने का निश्चय कर चुका है , इस समय एक बात गाँठ मार कर रख लें . दुर्योधन की तरह कोष को गरीबों मैं बांटने से जनता मैं वाह वाही तो मिल जायेगी परन्तु देश को अर्थ व्यवस्था अगर डूब गयी तो इसे सुधारना असंभव हो जाएगा . सरकार ने गरीबों के जीवन को बचने के लिए देश की पूरी अर्थ व्यवस्था को दांव पर लगा दिया है . श्रमिकों को वापिस लाना विदेशों मैं फंसे भारतीयों को वापिस लाना ऐसे कदम थे जिन्हें पूरा करना सरकार का दायित्व था . गरीबों के लिए राशन के पैसे सीधे बैंक अकाउंट मैं देना भी ठीक था . परन्तु अब पूरा ध्यान व् संसाधान अर्थ व्यवस्था को बचाने के लिए खर्च होने चाहिए . सरकार का उद्योगों को इस काल मैं मजदूरों को पूरा वेतन देने का निर्देश अनेकों फक्टोरियों को बंद करवा देगा . विशेषतः कपडे निर्यात करने वाली मंझोली कंपनियां पहले ही आर्डर कैंसिल होने से दुःखी हैं . नए आर्डर आ नहीं रहे . ऐसे मैं वह कैसे मजदूरों को पूरी तनख्वाह दे सकती हैं . इन फैसलों पर पुनर्विचार आवश्यक है . उद्योगों को दुधारू गाय न समझा जाय . फायदा कम होना एक बात है परन्तु उनको वाह वाही के लिए घाटे से बंद करवा देना मूर्खता होगी . बल्कि यदि कार उद्योग की तरह अन्य कंपनियां लॉक डाउन से बेहद घटे मैं आ गयी हों तो उनको अनुदान दे कर बचाना भी सरकार का दायित्व है . राष्ट्रपति ओबामा ने जीएम , फोर्ड , सिटी बैंक . एआइजी इत्यादि को २००८ मैं ऐसे ही बचा लिया था . आज वह सब ठीक चल रही हैं . भारत मैं ही बड़ी कंपनियों की मदद को पाप सम्झा जाता है . देश को तो यह कम्पनियां चला रही हैं अज्ञानी घमंडी बाबु नहीं . सरकारी बाबुओं को उद्योगों की ज़रूरतों के होश मैं लाना भी सरकार का दायित्व है.
सरकार के अब तक के कदम ठीक हैं .सरकार को विपक्ष को भी साथ लेना चाहिए . ऐसे ही २०१३ के ‘ सूट बूट की सरकार’ के नारे ने देश का बहुत नुक्सान कर दिया था . इस बार यदि विपक्ष रोड़े अटकाने लगा तो आर्थिक सामन्यता व् प्रगति असंभव हो जायेगी . एक बात सरकार अभी तक ठीक कर रही है . वह उद्योगों को सस्ता क़र्ज़ दे रही है अनुदान नहीं . इससे मंहगाई पर भी अंकुश रहेगा . बाज़ार मैं पैसा डालना आवश्यक है नहीं तो पिछली देन दारी के कारण अगले आर्डर नहीं दिए जा सकते . सरकार को कंपनियों व् ठेकेदारों के लटके बिलों की सत्तर प्रतिशत राशि इन्देम्निटी बांड पर तुरंत भुगतान कर देना चाहिए .इससे बाज़ार मैं पैसा बिना मंहगाई बढाए आ जाएगा . रिश्वत खोर बाबु ऐसे ही बिल रोक कर अपनी ताकत दिखाते हैं . एक बार इस को तोड़ कर अर्थ व्यवस्था को सुचारू किया जाय .
अब जनता को अपने को बचाने के लिए सब प्रचार माध्यमों से कहा जाय परन्तु सरकार को ध्यान इलाज़ हर तहसील मैं मुहैया करवाना पर होना चाहिए . कोरोना अब संसार मैं लम्बे समय तक रहेगा . उसके साथ जीना सीखना ही बुद्धिमत्ता है .
प्राचीन रोम इसी तरह कोष लुटा के बर्बाद हो गया . नए युग मैं अमरीका के साथ यह घट रहा है . जानकारी के लिए नीचे दी हुयी फिल क्लिक कर देखें .