टीवी फिल्मों में भद्दी गालियों व हिन्दू देवी देवताओं का अपमान तथा धार्मिक व जातीय द्वेष को बढाने का बढ़ता चलन रोकना आवश्यक है

टीवी फिल्मों में भद्दी गालियों व हिन्दू देवी देवताओं का अपमान तथा धार्मिक व जातीय द्वेष को बढाने का बढ़ता चलन रोकना आवश्यक है

राजीव उपाध्यायrp_RKU-263x300.jpg

जब ओमकारा फिल्म मैं भद्दी गालियों का प्रयोग हुआ तो उसे व्यस्क  का सर्टिफिकेशन दे कर सार्वजनिक फिल्गामों मैं गालियों  के प्रयोग को अमान्यता दर्शा  दी गयी .यही इस तरह की कुछ अन्य्फिल्मों के साथ हुआ . इसी तरह फिल्मों  में कुछ डाकू या चोर इत्यादि कभी कभी सार्वजानिक रूप से गाली दे देते थे तो भी एक बार के लिये सह लिया जा सकता था .परन्तु अचानक कोरोना काल मैं अमेज़न या नेत्फ्लिक्स की फिल्मों ने न केवल भारतीय संस्कृति की शालीनता की सारी सीमायें तोड़ दीं बल्कि वह खुले तौर पर भारतीय समाज के विघटन को भी प्रोत्साहन देने लगीं हैं .इसके अलावा हिन्दू देवी देवताओं को अपमानित करने की जो प्रथा आमिर खान की फिल्म ‘ पी के ‘ ने शुरू की थी  वह अब और तेज़ी से फ़ैल रही है .हिंदी फिल्मों का संगीत तो गुलशन कुमार की ह्त्या से पहले से ही बर्बाद हो चुका है .अच्छे भजन या गीत तो अब कहीं सुनायी ही नहीं देते .  इस सब से तो ऐसा लगता है कि भारतीय संस्यकृती को समाप्त करने की  यह कोई अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र या फिल्मों व फिल्म जगत में  बेहद सक्रीय दवूद  गैंग  की चाल है जिसे अंतर्राष्ट्रीय सहारा भी मिला हुआ है .tandav

अमेज़न की फिल्म ‘ फॅमिली मेन का हीरो मनोज बाजपाई हर समय भद्दी गलियाँ देता मिलता है . इसी तरह पहले प्रियंका चोपड़ा  की अमरीकी सीरियल में भारतीय साधू रुद्राक्ष  से पकड़ा जाता है जो  नयूक्लेअर तस्करी मैं पाकिस्तान को व्यर्थ बदनाम करना चाहता है . प्रियंका की नयी फिल्म ‘ वाइट टाइगर ‘ मैं गलियों का खुला उपयोग एक और सीमा को  तोड़ गया . फिल्म में एक दलित महिला मुख्य मंत्री औरतों के जननांगो अपमानित करने वाली गाली किसी उद्योगपती को देती है .मुसलामानों के खिलाफ नौकरी में भेदभाव होता है . पुरुष तो हर तीन मिनट में गाली देते हुए मिलते हैं . सेक्स का भाषा से दुरूपयोग किया जाता है . अमेज़न के सीरियल ‘ तांडव ‘ पर तो पाबंदी लगाना आवश्यक है . इसमें तो भारतीय समाज को तोड़ने के सब फोर्मुले पहले एपिसोड में ही प्रयोग कर लिए गए हैं . पिके की तरह ही शिवजी को अपमानित किया गया है . मुख्य मंत्री दलित मन्त्री को बुरी तरह से दलित होने पर अपमानित करता है . बेटाकुर्सी के लिए  बाप की ह्त्या  कर देता है . गालियाँ भी सरे आम दी जाती हैं . सब कुछ मिला कर वास्तविकता की कुरूपता ऐसे परोसी गयी हैं जैसे बहुत पहले केथरिन  मेयो की पुस्तक ‘ मदर इंडिया ‘ मैं कभी की गयी थी . अगले एपिसोड से तो भगवान् बचाए . जैसा हमेशा से होता आया है पाकिस्तान , अमरीका इत्यादि मैं तांडव के गुण गान किए हर भारतीय अपमान की तरह ही जा रहे आहें जैसे कभी अरुब्धाती रायके साथ किया जता था . अपने देशों मैं ब्लासफेमी कानून पर फांसी देने वाले वाले देश हिन्दुओं व भारतीयों  को शिक्षा दे रहे हें .

बदला व गुस्सा तो सदा से भारतीय फिल्मों में चित्रित किया जता रहा है पर ऐसा फूहड़पन से  नहीं दिखाया जाता था . यद्यपि सड़कों पर गालियाँ बहुत दी जाती हें परन्तु सभी लोग अक्सर महिलाओं के सामने गालियाँ तो नहीं देते हैं  और बच्चों को  गाली देना बुरा होना ही सिखाया जाता है .ऐसी  फिल्मों से बच्चे जाने अनजाने मैं गालियाँ देना अच्छा मानने लगेंगे .

anti hindu film 3क्योंकि फिल्मों मैं बहुत ब्लैक मनी का निवेश होता है और दिव्या भारती  , श्रीदेवी ,गुलशन कुमार , सुशांत राजपूत इत्यादि की संधिग्द ह्त्या भी हो चुकी है इस लिए फिल्म जगत मैं  दवूद सरीखों का वर्चस्व है . वह अब फिल्मों मैं हिन्दुओं का अपमान भी बहुत करने लगे हैं . विदेशियों के पास बहुत पैसा है . वर्षो से वलेंटाइन डे जैसी बेहूदे विदेशी त्योहारों  को  प्रचलित किया जा रहा है जो अब रंग दिखा रहा है . तब  भी सेंसर बोर्ड भारतीय जन मानस की भावनाओं का  कुछ ख्याल रखता था . हालाँकि पिके जैसी फिल्म तो तब भी पास हो गयी थी .

एक सीमा तक फिल्मों को समाज की कुरीतियों को समाप्त करने के लिए उपयोग किया जा सकता है . एकाध  फिल्म एक अति वादी विचारधारा जैसे शोषण , जातिवाद ,समलैंगिकता को दर्शा सकती है . परन्तु अंत मैं हिंदी फिल्म मैं जीत सत्य व सद्भावना की  ही होती थी . यह अब विनाश कारी रूप से बदल रहा है .इसमें मुफ्त की पब्लिसिटी व लाभ  के  लालच का भी समावेश है .. माफी मांग कर बच्इजना बहुत हो गया .इ सको अब कारागार जैसे कदम से ही रोका जा सकता है .

anti hindu film 1अब कोरोना काल मैं नेत्फ्लिक्स या अमेज़न की फिल्मों मैं तो सेंसर भी नहीं होता .इसलिए इनका फूहड़पन  शालीनता की सब सीमा लांघ गया है . दावूद व् अमेज़न व् नेत्फ्लिक्स का यह गठजोड़ भारतीय संस्कृती के लिए घातक होगा .

इस लिए इस फूहड़पन के विस्तार को रोकने के लिए सरकार को तुरंत प्रभावी कदम उठाने चाहिए .

Filed in: Articles

No comments yet.

Leave a Reply