क्या ऋषि सुनक को इंग्लैंड मैं केवल बलि देने के लिए प्रधान मंत्री बनाया है ? : डूबती अर्थ व्यवस्था  के लिए किसी नेता के पास समाधान नहीं है पर सुनक हिम्मत से डटे  हुए हें!

क्या ऋषि सुनक को इंग्लैंड मैं केवल बलि देने के लिए प्रधान मंत्री बनाया है ? : डूबती अर्थ व्यवस्था  के लिए किसी नेता के पास समाधान नहीं है पर सुनक हिम्मत से डटे  हुए हें!

राजीव उपाध्याय

इंग्लैंड के एक बहुत प्रतिष्ठित रक्षा मंत्री बेन वेलेस ने भी नाटो मीटिंग के बाद इस्तीफे की घोषणा कर दी है . वह नाटो के सेक्रेटरी जनरल बनना चाहते थे पर अमरीकी राष्ट्रपति बिडेन ने उनको नामुन्जूर कर दिया . वह युक्रेन को लेकर भी दुखी थे और उन्होंने खुले आम ज़ेलेंस्की को यूरोप के प्रति अधिक कृतज्ञता दिखाने को कहा जो सच होते हुए भी अमरीकियों को नहीं पसंद आया .वह प्रधान मंत्री के लिए बहुत उपयुक्त थे परन्तु उन्होंने दोनों बार चुनाव मैं उतरना ही पसंद नहीं और लिज़ ट्रस ने एक बार हिम्मत दिखा कर चुनाव जीत लिया . उसके बाद जो पौंड की दुर्गति हुयी उसने बेन वेलेस  के चुनाव न लड़ने को ठीक सिद्ध कर दिया . इसके पहले भी अनेक संसद इस्तीफा दे चुके हें और हर चुनाव मैं सुनक हार रहे हें .

सच यह है कि ब्रेक्सित व कोविद के बाद इंग्लैंड की अर्थ व्यवस्था बहुत लचर हो गयी है और उसको सुधारना बहुत कठिन है . ऋषि सुनक में  यह साहस व योग्यता थी इसी लिए उनके भारतीय मूल को भी झेल कर भी कांसेर्वतिव पार्टी ने उनको प्रधान मंत्री बना दिया . अब तक वह धीरे धीरे मंहगाई को कम कर रहे हें पर यह इतना मुश्किल काम है कि उनको बहुत सफलता जल्दी नहीं मिल रही है .वर्ष के अंत तक मंहगाई कि दर घट कर पांच प्रतिशत तक गिरने की उम्मीद है. बेरोजगारी व मंदी भी नियंत्रण मैं है .परन्तु बढे हुए मूल्य कभी कम नहीं होते पर अनपढ़ जनता को कौन समझाए ? जनता कमर तोड़ मंहगाई से दुखी है  और इसका ठीकरा सुनक के सर पर फोड़ कर लेबर पार्टी को अपने  जीतने की उम्मीद बढ़ गयी है . इसलिए एक के बाद एक कांसेर्वटीव सांसद इस्तीफा भी दे रहे हें . बेन वेलेस  भी उन्हीं मैं से हें जिनको पार्टी की जीत का भरोसा नहीं है . यह नहीं है कि लेबर पार्टी अर्थ व्यवस्था को ठीक कर देगी पर उसे उम्मीद है कि लोगों का गुस्सा शायद सुनक को हटा कर ठण्डा  हो जाएगा और कुछ दिनों बाद वही जनता  किसी और जादूगर को ढूंढने  लगेगी.

पूर्व प्रधान मंत्री बोरिस जोंसन भी पांच साल बाद पुनः प्रधान मन्त्री बनने की  उम्मीद लगाए बैठे हें . उधर वहां की भारतीय मूल की महिला गृह मंत्री सुवेला ब्रेवार्मन भारतीयों व हिन्दुओं को  बदनाम करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ रही हें और ब्रिटिश राज की तारीफों के कसीदे पढ़ कर गोरों की प्रिय बनी हुई हें . वह अपने प्रधान मंत्नरी की सार्वजानिक रूप से  बुराई भी कर चुकी हें .उनकी  भी सुनक की तरह प्रधान मंत्नरी बनने की इच्छा है पर क़ाबलियत बिलकुल नहीं है.

इसके ठीक विपरीत  विपरीत सुनक अपने हिन्दू होने को गर्व से बताते हें पर पूर्ण रूप से इंग्लैंड को समर्पित हें . सुनक को असफल बनाने की  बची खुची कसर अफ्रीकी मूल की वाणिज्य मंत्री केमी बेन्देनोक पूरी कर रही हें . इनकी  यह इंग्लैंड डुबोई जोड़ी भारत से कोई FTA   नहीं होने दे रही जो बोरिस जोनसन ने पिछली दीवाली तक करने की घोषणा की थी . इसमें इंग्लैंड की बाबु शाही भी शामिल है. वह सुनक की बलि देकर ब्रेक्सित समाप्त करना चाहती है. पर ब्रेक्सित के लिए दुबारा जनमत कराना होगा जो कोई पार्टी नहीं कराना चाहती . बाबुशाही इतनी ताकतवर है कि उसने सुनक के प्रबल समर्थक उप प्रधान मंत्री डोमनिक राब को निकलवा दिया जो अभूतपूर्व है. उधर अमरीका भी युरोपीय  यूनियन के टूटने से खुश ही होगा.

इंग्लैंड की अर्थ व्यवस्था  को उनके  प्रबल देश भक्त  प्रधान मंत्री ऋषि   सुनक से अधिक कोई नहीं बचा सकता पर विनाश काले विपरीत बुद्धी  वाली  जनता उनकी ही बलि चढाने को  उतारू प्रतीत होती है  और टूटी और बंटी कंजर्वेटिव पार्टी ब्रेक्ससित की आर्थिक सफलता से असहाय है !

जनता भूल चुकी है की तत्कालीन प्रधान मंत्री डेविड कमरून के विरोध के बावजूद उसने ब्रेक्सित का वोट दिया था . दुसरे प्रधान मन्त्री बोरिस अपनी गलतियों से सीखे नहीं है . सुनक का जनाधार कम है. हो सकता है कि एक साल बाद जनता अपना असली भला समझ जाये !

ऐसे देश को सुनक कैसे बचाएं पर तब भी उनको हमारी शुभ कामनाएं ?

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