Removal Of Indexation Is The Last Nail In The Coffin : मध्यम वर्ग को अब कोई नया मसीहा खोजना चाहिए , इन तिलों से तेल नहीं निकलेगा 

Removal Of Indexation Is The Last Nail In The Coffin : मध्यम वर्ग को अब कोई नया मसीहा खोजना चाहिए , इन तिलों से तेल नहीं निकलेगा

Rajiv Upadhyay

नयी  सरकार का पहला बजट ही अत्यंत घातक है . यदि इस प्रक्रिया  को अभी नहीं रोका गया तो  अगले पांच सालों मैं वेतन भोगी मध्यम वर्ग दाने  दाने  को मोहताज हो जाएगा. पहले तो नौकरियां खत्म हुयीं .फिर शिक्षा बेहद मंहगी हुयी . अब तो मरने पर बच्चों को एक घर छोड़ने पर भी सरकार कि कुदृष्टि पड़  गयी है . इंडेक्सेशन हटा कर सरकार अब पुराने पुश्तानी घर को बेच कर पढ़ाना या लड़की की शादी करना भी दूभर हो जाएगा .

आप  पार्टी मैं लाख बुरायी हों पर उस के सांसद राघव चड्ढा ने बजट पर बहुत सधी हुई प्रतिक्रिया दी . एक मजदूर २०१४ मैं एक दहाड़ी मैं तीन किलो दाल खरीद लेता था . अब वह सिर्फ एक या डेढ़ किलो दाल खरीद सकता है . गाँव के मजदूर कि कमाई घटी है . वेतन भोगियों का तो तीस प्रतिशत टैक्स के बाद हर चीज़ पर जीएसटी है , सेस है और अंततः आधी तनख्वाह सरकार ले लेती है . उनकी सटीक वाक्य था कि इंग्लैंड का टैक्स ले कर सरकार सोमालिया जैसी सुविधाएं दे रही है .

दस साल पहले अरुण जेटली ने टैक्स स्लैब मैं राहत देने का वायदा किया था जो आज तक पूरा नहीं हुआ न होगा . केवल एक हाथ ले दुसरे हाथ दे का झांसा दिया जा रहा है.

इस बार बहुत उम्मीद थी कि चुनाव परिणामों के बाद शायद कुछ सदबुद्धी आ जायेगी. दस साल से प्रबल समर्थन देने वाले मध्यम वर्ग पर शायद कुछ दया आ जायेगी. इस के विपरीत इस बार तो इंडेक्सेशन हटा कर सरकार ने सारी हदें पार कर दीं . १८५९ मैं केरल मैं कभी स्तन टैक्स लगा दिया था . टैक्स कि खोज अब उसी तरफ ले जा रही है. पर तब एक दलित महिला नंगेली ने अपने दोनों स्तन काट कर पत्ते मैं रख कर दे दिए . अंततः सरकार को उस टैक्स को हटाना पडा .

अब मध्यम वर्ग को समझ लेना चाहिए के धन्ना सेठ सरकार के माध्यम से    उसकी ज़मीन , घर , नौकरी सब छीन लेंगे . दस साल का इन्तिज़ार काफी था . अब उसको अपना नया रास्ता और नया मसीहा खोज लेना चाहिए. शायद कोई नंगेली के बलिदान की आवश्यकता हो पर अब मूक दर्शक बन कर नहीं बैठा जा सकता .क्योंकि आधी क्रय शक्ति तो रह गयी है और इस से कम क्या होगी .

हर बड़ा परिवर्तन शुरू मैं कठिन लगता है. रोज़ हज़ार करोड़ के घोटालों से मुक्ती मिल जायेगी किसने सोचा था पर हो गया . अब एक नए अभियान की आवश्यकता है क्योंकि अब एक बार फिर पापों का घडा अब भर चुका है.

देश  को गीता के एक नये अवतार की आवश्यकता है.

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