मध्यम वर्ग पर बढ़ता टैक्स का बोझ और शराबी की शराब की लत : अब यह लत छूटेगी नहीं 

 

मध्यम वर्ग पर बढ़ता टैक्स का बोझ और शराबी की शराब की लत : अब यह लत छूटेगी नहीं

दस साल पहले स्वर्गीय अरुण जेटली जी ने कहा था कि मैं जैसे ही आय बढ़ेगी इनकम टैक्स और घटा दूंगा . इसी बात को दस साल बाद श्रीमती निर्मला सीतारमण ने दोहरा दिया कि वह भी मध्यम वर्ग को रहत देना चाहती  हें पर मजबूर हैं  .

पहले मैं एक उदाहरण देना चाहता हूँ . एक शराबी जैसे ही पैसा आता शराब ले आता . और बाकी  समय स्वामी भक्त्त  पत्नी को  कहता रहता कि जैसे ही पैसा आयेगा मैं घर का सामान ले आऊँगा . पर अगले महीने फिर तनख्वाह पर शराब ले आता और फिर पत्नी को झूठी  सांत्वनाएं देता रहता .

यही हाल इस देश का है . शराबी कौन है यह आप सोचिये . पर स्वामी भक्त पत्नी , वेतन भोगी मध्यम वर्ग है जिसने २०१४ मैं बढ़ चढ़ कर प्रचार किया क्योंकि ‘ अच्छे दिन आने वाले थे ‘ . अब दस साल बाद वह अत्यंत ठगा महसूस कर रहा है . उसके सामने पति की आय दुगनी हो गयी पर घर मैं आने वाली सब्जी भी गायब हो गयी . जो नहीं गायब हुआ तो अच्छे दिन आते ही सब्जी लाने  का वायदा ! पत्नी को अब समझ लेना चाहिए कि चाहे आय कितनी भी बढ़ जाय ,सब शराब मैं ही जायेगी . इससे पहले कि उसे और बच्चों को दो  रोटी के लिए लालायित होना पड़े अब उसे कोई दूसरा इंतजाम कर लेना चाहिए .

अब इसे आंकड़ों के परिपेक्ष मैं देख लें .

२०१४ मैं सरकार की कुल आय 13.6 लाख  करोड़ थी और खर्चा 18 lakh करोड़ . आज २०२४ मैं आय बढ़ कर लगभग ३६ लाख  करोड़ हो गयी और खर्चा ४८ लाख  करोड़ . इनकम टैक्स 6.3 lakh  करोड़ से बढ़ कर 19 lakh  करोड़ हो गया . पर दुगनी आय और दुगने खर्च के बाद भी यदि मध्यम वर्ग के घरों की सब्जी गायब होने कि स्थिति मैं आ गयी तो इस का जिम्मेवार कौन  है ? २०१३-१४ मैं फ़ूड सब्सिडी १०७८२३ करोड़ थी , २०२४ मैं कुल सब तरह की सब्सिडी ३.८१ लाख करोड़ हो गयी . कॉर्पोरेट टैक्स  ५ प्रतिशत घाट गया  . लगभग ग्यारह करोड़ के उद्योगों के ऋण  माफ़ हो गए . सिर्फ मध्यम वर्ग टिकटिकी लगाए सरकारी कृपा की बारिश की उम्मीद करता रहा .

यह कैसा विकास है जिसमें गाँव के मजदूर की सब टैक्सो के बाद             वासस्तविक आय भी घटी है और शहर के अध्यापक की भी .आटे और बिजली पर तो जीएसटी दोनों ही देते हें . आधा राशन बिक रहा है फिर भी सब को दिया जा रहा है .सर्मथ महिलाओं को दिल्ली मैं क्यों मुफ्त यात्रा दी जा रही है जबकी बुजुर्गों का रेल कन्सेशन काट दिया गया है .

कोई तो शराब की  लत है जिसमें सारा पैसा जा रहा है . क्या है वह ?

इसी बजट से ही समझते हें .

जे डीयू रेलवे मंत्रालय चाहती थी और टीडीपी स्पीकर का पद . जनता जानती है कि सुरेश प्रभू , लालू  , ममता और नितीश मैं रेल मंत्री कोई हो उसे  कोई अंतर नहीं पड़ता . इसी तरह बाल योगी , मीरा कुमार या सुमित्रा महाजन मैं कोई भी स्पीकर हो उसे अंतर नहीं पड़ता .

फिर वह बीजेपी के रेल मंत्री या स्पीकर के लिए वह अपने पैत्रिक  घर पर टैक्स क्यों दे ?

पैत्रिक घर पर इन्देक्सेशन  हटा कर सरकार ने जो पाप किया है इसके दूरगामी दुष्परिणाम होंगे . सरकार ने विपक्ष की भाषा मैं ‘ कुर्सी  बचाने के लिए’  लोगों के  पूर्वजों की कमाई पर डाका डालने ‘ Inheritance Tax ‘ का रास्ता खोल दिया है जिसका अब बढ़ बढ़ कर दुरूपयोग होगा . इस गलती व वीपीसिंह की गलती मैं बहुत अंतर नहीं है . जैसे मिड डे मील के बाद चुनावी रेवरी बांटने कि प्रथा शुरू हो गयी यही अब और बढेगा . आज बारह प्रतिशत टैक्स पांच साल मैं बीस से तीस प्रतिशत हो जाएगा . इसको रोकना असंभव है क्योंकि शराब की लत अब घर के बर्तन बिकवा कर ही छोड़ेगी .

नरसिम्हा राव अल्पमत कि सरकार मैं देश को बदल गए . वाजपयी जी ममता बनर्जी के साथ सरकार चला गए . उन्होंने तो मुफ्त खाना नहीं बांटा . ऐसी क्या मजबूरी है कि दुगनी आय के बावजूद भी पेट नहीं भर रहा और अब जनता के पूर्वजों कि संपत्ति को डकारने का रास्ता खोला जा रहा है ? इसे गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है .

उत्तर यही है कि लगता है कि यह बजट लाखों करोड़ों का ऋण माफ़ करवाने वाले और बेहद मुनाफ़ा कमाने वाले धन्ना सेठों ने बनाया है और संसद मैं मात्र पढ़ा ही गया है . सीतारमण जी को भी कितना दोष दिया जाय यद्यपि  वह दृढ़ता से इस का विरोध कर सकती थीं पर फिर शायद वह वित्त मंत्री नहीं

बनती  !.

इसलिए जनता को इस शराब की लत से मुक्ति पाने के अन्य उपाय ढूढना  आवश्यक है .

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