Military Base On Bangladesh Island, New Christian Country in North East , Balkanised India : विदेशी षड्यंत्रों को कैसे नाकाम करें 

 

Military Base On Bangladesh Island, New Christian Country in North East , Balkanised India : विदेशी षड्यंत्रों को कैसे नाकाम करें

राजीव उपाध्याय

बांग्लादेश के भूचाल की पूरी कहानी अब सामने आने लगी है . शेख हसीना ने यह खुले मैं कहा था कि अमरीका बांग्लादेश मैं अपनी मदद के बदले वहां मिलिट्री अड्डे  मांग रहा है .उन्होंने यह भी शायद इंगित किया था कि म्यन्मार , बांग्लादेश व भारत के उत्तर पूर्व के हिस्सों को मिला कर एक ईसाई देश बनाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है . अमरीका ने इस आलोचना कि सज़ा उनको महारानी से शरणार्थी  बना कर दे दी प्रतीत होती है . इसके लिए उन्होंने आई एस आई  , सी आई ए , चीन कि मदद भी शायद ली हो . शेख हसीना निर्दोष नहीं थीं पर उनकी इस छोटी कमजोरी को विदेशियों ने भुना लिया .

यह सर्व विदित है कि पश्चिमी देश भारत को तोड़ कर अनेक देश बनाना चाहते हें जैसे उन्होंने रूस मैं किया था . उनकी आंतरिक विद्रोह कराने की तकनीक हम  मिस्र , लीबिया , सीरिया मैं देख चुके हें . भारत मैं तो इतनी कमजोर कड़ियाँ हें कि भारत को एक रखना बहुत कठिन कार्य है . जाती, धर्म , भाषा , आर्थिक पिछडापन  इत्यादी अनेक मुद्दे हें जिन पर जनता का आक्रोश भड़काना बहुत आसान है . संभवतः खालिस्तानी व हिंसक किसान आन्दोलन विदेशी षड्यंत्र का ही हिस्सा थे. अब विदेशियों की नीति भारतीय लोकतंत्र व सरकार की वैधता पर सार्वजनिक संदेह बढाने की होगी. सरकार की हर असफलता को जनता मैं आक्रोश फैलाने के लिए उपयोग किया जाएगा .

इस पश्चिमी दुस्साहस की झलक हम लोग संसद मैं बजट सत्र मैं हलवे  बनाने वालों की जातीय गणना के अत्यंत  हीन स्तर के प्रश्न  पर देख चुके हें . एक और प्रयास सैम पित्रोदा के इनहेरिटेंस टैक्स लगाने का था जो भारतीय समाज की चूलें ढीली कर देता . यही झूठे सच्चे आरोपों को लगाने का  दृश्य हम केजरीवाल जी के शुरुआती दौर में देख चुके हें . यह सब विदेशी ट्रैनिंग  लगती है .

विदेशी भारतीय राजनीती मैं देश भक्ति के बढ़ती पकड़ को समाप्त करने के लिए इस लिए बहुत तत्पर हें क्योंकि उक्रेन  युद्ध ने रूस कि सहयता करने से  भारत कि शक्ति का अंदाज़ लग गया है.भविष्य मैं भी भारत अपने हितों की रक्षा करेगा .पश्चिम जगत अब लाम बद्ध  हो गया है .बांग्लादेश इसकी पहली कड़ी है. भारत भी इस आग मैं झुलसेगा.

इसका एक ही इलाज़ है .

१. भारतीय प्रधान मंत्री कभी भी व्यक्तिगत बेईमानी के लालच मैं न फंसे .विदेशी इसे तुरंत पकड़ भुना लेंगे. बल्कि प्रधान मंत्री का व्यक्तिगत चरित्र संदेह से एकदम परे हो. मोदी जी की लाख कमियाँ  हों पर उनके चरित्र पर देश को  पूर्ण विश्वास है इसी लिए अब तक विदेशी षड्यंत्र असफल रहे हें . अगला प्रधान मंत्री भी ऐसा ही हो.

२. सार्वजानिक जीवन परंपरागत आदर्शों को दर्शाए . आदर्श नेता ही हमारी स्वाधीनता के सबसे बड़े संरक्षक होंगे. वाजपयी  जी की तरह  राजनीति को सहनशीलता व सौहाद्र्य्ता के वातावरण मैं करें. उसे व्यक्तिगत दुश्मनी मैं न बदलें जो अब प्रतीत  हो रहा है और इससे देश की हानी हो रही है.

३. हर राज्य , भाषा , धर्म , जाती और व्यक्ति  को संवैधानिक न्याय व संरक्षण मिले . किसी वर्ग को उत्पीडन से  प्रतिशोध के लिए भारत से अलग होने या व्यापक हिंसा की  प्रेरणा न मिले.

४. देश का आर्थिक विकास पक्षपात रहित व सर्वांगींण हो. सब के जीवन स्तर मैं सुधार  होना चाहिए . किसी वोट बैंक को बाकियों की कीमत पर न बढाया जाय. कठिनाई है कि देश की सम्पूर्ण राजनीती व सत्ता सामाजिक बंटवारे पर आधारित है . इसका विकल्प इंग्लैंड के चुनाव मैं देखें . वहां कोई विघटन कारी अजेंडा नहीं चला. कोई सर्व आदरणीय संस्था या व्यक्ति सब दलों को एक देश की एकता पर एक कर सके तो भला हो.

५. मीडिया , न्यायालयों , सेना , चुनाव आयोग , जांच एजेंसियां संवैधानिक रूप से ही काम करें . विगत वर्षों मैं जनता का सार्वजानिक संस्थाओं पर विश्वास घटा है जिसका विदेशी फायदा उठा सकते हें.

६ यदि उपरोक्त विषय ठीक हों तो न केवल आतंकवादियों बल्कि विदेशी इशारों पर देश मैं अराजकता फैलाने वालों को सरकार के द्वारा शुरुआत मैं ही पकड़ कर अत्यंत कठोरता से निष्क्रिय कर दिया जाय. विदेशी आज कल प्रजातंत्र, मानवीय अधिकार , वैचारिक स्वतंत्रता कि दुहाई देकर विकास शील देशों को दबा  कर उनका शोषण कर रहे हें . सरकार इनकी आड़ मैं देश के विभाजन का खेल नहीं होने दे सकती.

भारत की अगले तीस  वर्षों की सबसे प्रमुख  समस्या अपनी स्वाधीनता व अखंडता कि रक्षा करना ही होगी. इसलिए सब को इसके लिए सम्मलित प्रयास करने की आवश्यकता है.

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