5:27 pm - Thursday September 28, 2919

भारत मैं विदेशियों द्वारा ‘ Military Industrial Complex ‘ बनाने के संभावित प्रयासों , बहानों और उनसे बचाव 

भारत मैं विदेशियों द्वारा ‘ Military Industrial Complex ‘ बनाने के संभावित प्रयासों , बहानों और उनसे बचाव

राजीव उपाध्याय

हाल ही मैं रक्षा मंत्री श्री राजनाथसिंह जी ने तीन लाख करोड़ रुपयों के स्वदेशी रक्षा उपकरणों के बनाने और ५०००० करोड़ के निर्यात का एक मह्त्वाकंशी लक्ष्य रखा है . सरकार का यह निर्णय निस्संदेह सराहनीय है .

परन्तु भारतीय रक्षा उद्योग को शैशव काल मैं ही कुछ ऐसे रोगों के टीके लगाना जरूरी है जो भविष्य मैं हमारी सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक हैं  .

विदेशी सरकारें व बड़ी हथियार कंपनियां भारत के स्वाबलंबी होने के विरुद्ध हैं .उनका हित भारत के द्वारा आयात मैं है . इस लिए वह प्रभाव शाली भारतीय अफसरों व उद्योगपतियों को अपना एजेंट बना लेंगी. वह एजेंट अपनी मित्रता का दुरूपयोग बड़ी भारतीय रक्षा कंपनियों विशेषतः HAL / DRDO/BDL/ISRO /BARC इत्यादि के विरुद्ध तरह तरह का दुष्प्रचार करेंगी. रिश्वत दे कर कल पुर्जों मैं  खराबियां भी पैदा की जा सकती हें .इसमें  कुछ बिकाऊ भारतीय मीडिया भी उनका पूरा साथ देगा जो हम नाम्बि नारायण  केस मैं देख चुके हें .इस लिए बहाना कोई भी हो तीस प्रतिशत से अधिक आयात का समर्थन व स्वाबलंबन को तुच्छ सिद्ध करने के हर प्रयास को देश द्रोह माना जाना चाहिए.

इसकी बानगी अमरीकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा तेजस हवाई जहाज के लिए इंजन रोकने से स्पष्ट है . पहले वह हमारे तेजस कार्यक्रम को अन्दर से खोखला कर चौपट  करेंगी .उसके बाद HAL को सुस्त व जाहिल संस्था सिद्ध कर देंगी. इसमें रक्षा मंत्रालय के चुनिन्दा अज्ञानी पर दम्भी भ्रष्ट  बाबुओं का साथ भी आसानी मिल जाएगा क्योंकि HAL को सुस्त बता कर उनको आयात से कमीशन बनाने का मौक़ा मिल जाएगा .

इसी तरीके को अर्जुन टैंक मैं हम देख चुके हें. DRDO पर  IAS अफसर थोपने का कुत्सित प्रयास भी इसी बड़े षड्यंत्र  का हिस्सा है. राष्ट्रपति ट्रम्प कि वैक्सीन के आर्डर की तरह  एक बड़ा आर्डर देकर इन कंपनियों को पूर्णतः स्वायत्ता दे दी जाय फिर इनकी चाल देखिये !

विदेशी कम्पनी पहले तो हमारे स्वालंबन के प्रतासों मैं अड़चन डाल कर देर कराएंगी और जब दस बीस साल बाद हम सफल भी होंगे तो तब हमारे उपकरण से बेहतर उपकरण बेचने को तत्पर हो जायेंगी. बाबु और सेना भी बेहतर उपकरण की खरीद पर जोर देकर अपनी देश भक्ति सिद्ध कर देंगी जैसा अर्जुन टैंक के साथ हुआ . चीन J- 10 , 20 , 32 बनाता जा रहा है और उसकी सेना उनका उपयोग भी कर रही है . पर हम तीस सालों से ११४ हवाई जहाज खरीदने के पीछे पड़े हें . अब F 35 / 22 की बात होने लगी है जबकी वास्तविकता तेजस के इंजिन रोक देने की है. अगर इंजन टेस्टिंग पर पंद्रह साल पहले बीस हज़ार करोड़ रूपये खर्च कर दिए होते तो देश की यह दुर्गति नहीं होती. पर दम्भी व अज्ञानी बाबु आज भी मंत्रालय मैं राज कर भविष्य के लिए नयी समस्याएं खडी  कर रहे हें .

प्राइवेट सेक्टर का रक्षा क्षेत्र मैं अपना  महत्व है . वह बहुत तेज़ी से काम करता है और इस लिए बहुत उपयोगी है.पर अंततः वह देश मैं Military Industrial Complex बना देगा जो सबसे अधिक रिश्वत देने वाली कंपनियों का साम्राज्य खडा कर देगा . हमारा रक्षा तंत्र भी हमारे मीडिया की तरह उनका गुलाम हो जाएगा . अंततः चुनावी खर्चों के लिए राष्ट्र हित से समझौता होता रहेगा . जब अमरीका जैसा देश इनसे नहीं बच  सका तो भारत की क्या बिसात है?

इसलिए कुछ कमियों के बावजूद भी  DRDO/ HAL/ BDL/BEML / MAZAGAON Docs इत्यादि  का सार्वजानिक क्षेत्र मैं वर्चस्व बनाये रखना बृहत् राष्ट्रीय हित मैं है . यदि कुछ विशेष प्रोजेक्ट्स के लिए  इनको  स्वायत्ता दे दी जाय और इ डी /सीबीआई/सीवीसी/ बाबुशाही से मुक्त कर दिया तो  यह राष्ट्र  हित मैं बहुत  तेजी से काम भी कर लेंगी जैसा दिल्ली मेट्रो ने कर दिखाया  है .परन्तु  स्वायत्ता देने के बजाय  इन संस्थाओं मैं बाबुओं का पिछले दरवाज़े से प्रवेश कराना देश के साथ गद्दारी होगी. दम्भी व अज्ञानियों बाबु राज एक दीमक  है जो इन संस्थाओं के साथ देश को भी को चाट जायेगी .

इस लिये आज शैशव अवस्था मैं देश के रक्षा क्षेत्र को भ्रष्टाचार विरोधी टीके लगवाना बहुत आवश्यक है . आशा है सरकार विदेशी दुष्प्रचार एवं षड्यंत्रों  के बावजूद  से इस से घबराएगी नहीं.

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