ब्रिक्स छोड़ना मूर्खता होगी : कोई ऐसा सगा नहीं जिसे सुपर पार्वर्स ने ठगा नहीं : Sanction Proofing India : A Vital Long Term Security Requirement Needing A Separate Organisation Under NSA 

ब्रिक्स छोड़ना मुर्खता होगी : कोई ऐसा सगा नहीं जिसे सुपर र्पोवर्स ने ठगा नहीं : Blackmail Proofing India : A Vital Long Term Security Requirement Needing A Separate Organisation Under NSA

राजीव उपाध्याय

BRICS Payment System , Indian Satellite Based Internet and Communication , Shipping ,Food, Fertiliser and Oil Reserves Are Very  Essential

राष्ट्रपति ट्रम्प आते ही अमरीकी अर्थ व्यवस्था को सुरक्षित करने के प्रयासों को प्राथमिकता देंगे . इसमें अमरीकी डॉलर का वर्चस्व बचाना सबसे अधिक आवश्यक कदम होगा . इसके लिए वह BRICS Currency and Payment System को सबसे बड़ा ख़तरा मानेंगे . फ्रांस के निर्दोष बैंकों  पर जुर्माना लगा कर अमरीका ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब तक स्विफ्ट से  भुगतान डॉलर  मैं होगा समस्त विश्व अमरीका के आदेशों को मानने के लिए बाध्य होगा . इसी तरह तेल की पाइप लाइन तोड़ कर , डॉलर के बैंक बैलेंस को जब्त कर ,इन्सुरांस रोक कर उन्होंने रूस की आर्थिक व्यवस्था  को चौपट करने का बहुत प्रयास किया . रूस ने भी परोक्ष रूप से इंग्लैंड की इन्टरनेट तारें काटी दीं . रिश्वत व समाचार व मीडिया पर प्रभुत्व का भी भयानक दुरूपयोग हुआ  .

पर अमरीकी हित वैश्विक हितों से पूर्णता भिन्न हो सकते हें . यूक्रेन की लड़ाई बिलकुल अनावश्यक थी और गोर्बोचेव के दिए आश्वासनों के उल्लन्घन के कारण हुई  .अमरीकी शस्त्र निर्माता कहीं न कहीं अपनी बिक्री बढाने के लिए लड़ाई करवाते रहते हें .इसमें कभी पाकिस्तान , कभी इराक , कभी ईरान नहीं तो युरोप उनके झांसे मैं आ जाता है . भारत के नेत्रित्व को बधाई है कि धोखे बाज़ चीन से भी हमने युद्ध नहीं होने दिया और मामला निपटा लिया . इसी तरह रूस से सस्ता तेल आयात कर अपनी अर्थ व्यवस्था को बचा  लिया .

पर बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी !

किसी दिन हमारे हित सुपर पॉवर के हितों से अवश्य  टकरायेंगे . उस दिन रूस की तरह हमारीअर्थ व्यवस्था व जीवन को पूरी तरह से चोट पहुंचाने का शक्तिशाली प्रयास होगा . संभवतः हमारी जैविक हथियारों के छुपे प्रयोग से संक्रामक रोग , खे ती , तेल , इन्टरनेट व संचार , विदेशी व्यापार इत्यादि को रोका जा सकता है . इसके अलावा संभवतः हमारे सेटेलाईट भी तोड़ दिए जाएँ . बैंकिंग , स्टॉक एक्सचेंज  व बिजली व्यवस्था ध्वस्त कर दी जाय . कुछ dams को भी तोड़ा जा सकता है .  इसके अलावा विदेशी पैसे से बिकाऊ मीडिया और नेताओं की मदद से आतंकवाद , धर्म जाती इत्यादि का उन्माद भी फैलाया जा सकता है .

भारतीय रक्षा अभी युद्ध के खतरों से बचने के प्रयासों पर आश्रित है . सी डी  एस के अंतर्गत कुछ नयी रक्षा के खतरों से बचने के प्रयास शुरू हुए हें . परन्तु विषय बहुत व्यापक है . इसमें अनेक गहन तकनीकी व्यवस्थाओं व ज्ञान की आवश्यकता वाले विषय हें . इनको घमंडी व अज्ञानी बाबुओं को  ऊपर से लाद कर या उनपर छोड़ना तो अत्यंत मुर्खता होगी और बाबुशाही किसी और अभिनन्दन को गिरफ्तार करा देगी . हिटलर ने भी कभी एक Walter Funk aur Speer की जोड़ी को यह काम सौंपा था . भारत मैं अभी हर विभाग मैं  व विशेष कंपनियों मैं एक केन्द्रीय सरकार  कि आर्थिक सहायता से एक गुप्त रक्षा प्रोजेक्ट चलाया जा सकता है . इसका कोआर्डिनेशन एक बहुत सीनियर और बहु अनुभवी सीनियर इंजिनियर अफसर के अधीन हो जो NSA के नीचे काम करे . इसका रोजमर्रा की गतिविधियों से कोई सम्बन्ध न हो और चुप चाप यह भविष्य को देख कर अपना काम करे .

अन्तराष्ट्रीय संबंधों मैं कोई किसी का मित्र नहीं होता सब अपने हितों को  साधते हें . अमरीका से अच्छा इसका कौन उदाहरण हो सकता जिसने कभी गोर्बाचेव , पाकिस्तान , ईरान , इराक , सऊदी , चीन सब को उल्लू बनाकर अपना हित साधा है और अब यूक्रेन युद्ध से  यूरोप को बर्बाद कर दिया . BRICS एक बहुत उपयोगी संस्था बनी है जिसका अभी पूरा विकास नहीं हुआ है . अमरीका इसे अवश्य तोड़ना चाहेगा . भारत को इसके पेमेंट सिस्टम व अन्य उपयोगी अंशों को बिना अमरीका से दुश्मनी किये  बचाना होगा . इसका पेमेंट सिस्टम बहुत उपयोगी होगा . इसमें एक खाद्यान , तेल , खाद व दवाओं का बैंक जोड़ा जा सकता है .

भारत को समय रहते अपनी घेराबंदी से बचने के सार्थक उपाय करने चाहिए अन्यथा

अब पछताए क्या होत  जब चिड़िया चुग गयी खेत !

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