Why PM Should Reconsider Massive Privatisation Of Defence / ISRO/DRDO : देश के रक्षा सौदों मैं अंततः बेहद रिश्वतखोरी , बाबूराज और सीबीआई / सीवीसी / ईडी का डर हमारी रक्षा व्यवस्था को दीमक की तरह खोखला कर देगा .
आज कल हर कोई रक्षा मैं प्राइवेटाइजेशन के गुण गा रहा है और सेठों का मीडिया भी इसे हवा दे रहा है . एमका प्रोग्राम मैं सात टेंडर डाले जा रहे हें . अहंकारी , बीए पास ज्ञानी , एच ए एल / GTRI को भारतीय कावेरी इंजन की देर के लिए जिम्मवार ठहरा रहे हें जब की खुद तीस सालों मैं मात्र छत्तीस रफल हवाई जहाज खरीद पाए . किसने ७५ साल मैं डिस्ट्रिक्ट अस्पतालों को सुधर लिया या सड़कों के गड्ढे भर लिए या जमीन की रजिस्ट्री से भ्रष्टाचार समाप्त कर दिया जो दूसरों के दोष ढूंढ रहे हें .
जब फ़िएट एम्बेसडर व स्टैण्डर्ड कार प्राइवेट कारखानों मैं बनती थी तो क्या कद्दू मैं तीर मार लिए थे ?
रक्षा क्षेत्र मैं प्राइवेट कम्पनी को लाने से शुरू मैं तो स्पीड बढ़ेगी पर अंत बहुत दुखदायी होगा . देश के रक्षा सौदों मैं अंततः बेहद रिश्वतखोरी , बाबूराज और सीबीआई / सीवीसी / ईडी हमारी रक्षा व्यवस्था को दीमक की तरह खोखला कर देगा .रक्षा क्षेत्र मैं कोई आसान विकल्प नहीं है . हमें दो अच्छाइयों मैं नहीं बल्रकि दो बुराइयों मैं से कम बुराई को चुनना है. रक्षा का प्राइवेटाइजेशन इस परम आवश्यक क्षेत्र मैं चरित्रहीनता को बढ़ाएगा .
भारतीय राजनीती मैं व्यापक चरित्रहीनता , चाटुकार बेईमान ,अज्ञानी परन्तु दम्भी बाबु , सीबीअई/ सीवीसी/ ईडी का सर्व व्यापी डर सार्वजानिक क्षेत्र को सफल नहीं होने देता . उसे तो सिर्फ बाबुओं को कार देने मात्र का उपयोगी माना जाता है . हर कोई उसे दबा कर रस निकलता है . परन्तु प्राइवेट तो यह सब कहीं ज्यादा कर देता है पर किसी को पता नहीं चलता . सिर्फ हवाई जहाज की कीमत बढ़ जाती है .
टाटा या कल्याणी ने जो तोप मानाने मैं महारथ हासिल की है वह प्रशंसनीय है . और भी अनेक नौजवान प्रशंसनीय कार्य कर रहे हें . परन्तु अधिकाँश भारतीय उद्योगपति या कंपनियां रिसर्च का खतरा नहीं उठाती है . सब बाहर से सफल टेक्नोलॉजी आयात कर देश मैं लाइसेंस लेकर बनाती हें . भारत की खुद की इंजीनियरिंग डिजाईन क्षमता बहुत कम है . जिन चुनिन्दा क्षेत्रों मैं हम थोड़ा बहुत सीखे हें वह सार्वजानिक क्षेत्र के बड़े बड़े उपक्रमों के प्रयास से ही सीखे हें . इस नवजात क्षमता के शिशु की भ्रूण ह्त्या पाप होगी . इतनी जल्दी प्राइवेटाइजेशन हमारी इस नयी विकसित क्षमता को कुंठित कर देगा . अदानी या L&T कैसे इतने कम समय व खर्च मैं नयी टेक्न्यनोलॉजी विकसित कर लेगी. यह असंभव है .अन्य क्षेत्रों की तरह अंततः लालच वश या अन्य कारणों से हम फिर आयातित टेक्नोलॉजी पर आश्रित हो जायेंगे. किसी युद्ध मैं फिर कोई अमरीका इंजन या Satellite बंद कर हमें हरवा देगा .
जैसे श्रीमती गाँधी ने मिसाइल के लिए दो सौ करोड़ देकर वैज्ञानिकों पर सब छोड़ दिया था और आज हम उसका फायदा उठा रहे हें , उसी तरह यदि वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बाबु और सीबीआई से मुक्त कर दें तो यही सार्वजानिक क्षेत्र जादू करने मैं सक्षम है . केवल बाबुओं के बजाय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों पर अधिक भरोसा करने की जरूरत है .बाबुतंत्र को ज़मीन कि खरीद बिकवाली और कानून व्यवस्था मैं महारथ होती है उसे वहीँ तक सीमित किया जाना चाहिए .
इस एक मीर ज़फर के लालच से दो सौ साल गुलाम रहे देश को अनेकों मीर जाफरों के चुंगुल मैं डालना बहुत बड़ी त्रासदा की नींव रखना होगा .
प्रधान मंत्री जी को इस विषय पर गहन पुनर्विचार करना चाहिए .

