क्या भारत को ९१ अतिरिक्त  तेजस  एम् के- १ ए के बजाय ९१ तेजस एम् के – २ बनाने चाहिए ?

क्या भारत को ९१ अतिरिक्त  तेजस  एम् के- १ ए के बजाय ९१ तेजस एम् के – २ बनाने चाहिए ?

राजीव उपाध्याय

भारत सरकार ने हाल ही मैं HAL को एक ९१ अतिरिक्त तेजस एम् के- १ ए का आर्डर दिया है . इसको मिला कर HAL को अब 32 तेजस एम् के १ , 170 तेजस एम् के – १ ए का आर्डर मिल गया है . HAL के लिए यह एक बड़ी अच्छी खबर है . इससे एक अनिश्चितता समाप्त हो जाती है और अब वह निश्चिन्त हो एम् के – २ और AMCA विमानों को और उत्कृष्ट बनाने पर ध्यान दे सकेगा . यह इसलिए भी अच्छा है कि अर्जुन टैंक इतना सौभाग्य शाली नहीं था . उसकी तो 118 MK – 1 A के   आर्डर के बाद ही भ्रूण ह्त्या कर दी गयी . भारतीय वैज्ञानिकों को उसको उत्कृष्ट कर अगला मॉडल बनाने का मौक़ा ही नहीं मिला . यह भी संभवतः मिथ्या आरोप है कि भारतीय हथियार आयात लॉबी ने उसका विकास अनेक बहाने बना कर रुकवा  दिया . युक्रेन युद्ध ने तो एक दम नए डिजाईन के टैंक बनवा दिए जो भारत भी विकसित कर रहा है . HAL / TEJAS इस मामले मैं भाग्यशाली रहे . संभवतः इसका मुख्य कारण आत्मनिर्भर भारत का नया दृढ संकल्प और विदेशी हवाई जहाज़ों की बहुत अधिक कीमत भी थी.

सरकार का दृष्टि कोण स्पष्ट था . वायु सेना की विमानों की कमी विकराल है . तेजस –  एम् के १ ए एक मात्र पूरी तरह से पास जहाज है . इसलिए आयात को रोकने के लिए  और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहन देने के लिए उसने   १७० एम् के-१ ए के आर्डर दे दिए . A Bird In Hand Is Better Than Two In Bush !

परन्तु हमारे सेवा निवृत वायु सेना अध्यक्ष भदोरिया समेत अनेक विशेषज्ञों ने एम् के – १ ए के अतिरिक्त ९१ के आर्डर को तेजस मार्क – २ को देने की वकालत की है . उनका विचार है कि केवल AMCA & TEJAS MARK -2 भविष्य की युद्ध की आवश्यकताओं को पूरा कर पते हें . पहले  ३२  तेजस एम् के – १ तो बच्चा थे . जिनका बहुत सीमित उपयोग है . उनको बना कर भारत ने एक क्षमता विकसित कर ली . अब HAL उनको अपग्रेड करने की कोशिश कर रहा है जिससे वह कुछ अधिक उपयोगी बन सकें .तेजस – एम् के – १ ए उसी का ठोक पीट कर बड़ा बनाया कुछ बेहतर मॉडल है . परन्तु यह जहाज चालीस साल चलेंगे . इसलिए जो जहाज आज की जरूरत भी पूरी नहीं करता वह कल की जरूरत कैसे पूरा करेगा .

आत्मनिर्भरता एक दूर गामी लक्ष्य है . इसको अव्यवहारिक बनाना या इसका राजनितिक दुरूपयोग आत्मघाती होगा . अगली लड़ाई मैं पाकिस्तान को चीन जरूर   जे – २० हवाई जहाज दे देगा या तुर्की अपना पांचवी पीढी का KAAN  जहाज दे देगा . यह भी सोचने कि बात है कि पाकिस्तानी वायु सेना हमेशा तकनीक मैं हमसे आगे रही है . बालाकोट मैं अभिनन्दन के समय उसने हमारी संचार व्यवस्था को ध्वस्त कर कंप्यूटर लिंक ट्रान्सफर से हमारे जहाज को गिरा दिया था . इसी तरह अभी हाल के सिन्दूर ऑपरेशन मैं HQ 9 RADAR , जे १० और 200 kilometer range PL – 15 मिसाइल ने शुरू मैं हमारे कई जहाज मार गिराए थे . हम ब्रह्मोस मिसाइल , रूसी S – 400 और इजराइल के ड्रोन के कारण अंततः युद्ध जीत गए क्योंकि पाकिस्तान के पास इनका कोई काट नहीं था .

इसलिए श्री भदोरिया व अन्य वायु सेना के अधिकारियों की इस बात मैं दम है कि हमारे नए जहाजों को आज की लेटेस्ट तकनीक से तो लेस होना ही चाहिए .

A neutral Comparison of various aircrafts is available at

table comparing tejas mk 1 , mk 1 A and mk2 with amca – Search Images

इस विरोधभास का एक समाधान है . हमको रूस के ५० सुखोई – ३५ या ग्रिपेन के 50 जहाज पांच साल के लिए किराये पर ले लेना चाहिए . HAL को तेजस एम् के – २ को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए . जैसे ही तेजस एम् के – २ पास हो  जाय तो ९१ एम् के – १ ए का आर्डर एम् के – २ मैं बदल देना चाहिए . 115 तेजस १ और १ ए हमारी छोटी जरूरतों के लिए काफी हें .

अन्यथा एम् के – १ ए  के एक अपग्रेडेड मॉडल पर अभी से काम शुरू कर दिया जाय जिससे आखिरी ९० जहाज , जी ई ४१४ इंजन , ज्यादा रेंज , ज्यादा  पे लोड और लेजर हथियारों से युक्त हों .

इस समाधान से हम अपने  अधिकांश आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को भी प्राप्त कर लेंगे और भविष्य कि लड़ाई मैं भी नहीं पिछ्ड़ेंगे .

सरकार से इस विषय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध है .

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