

एक षड्यंत्र के तहत विदेशी सामान, उपभोक्तावाद, चमचमाते अस्पताल और महंगी बीमारियां, चमचमाते निजी शिक्षा संस्थान (अंदर से खोखली कबाड़ फैक्टरी), मॉल कल्चर नयी पीढ़ी को परोसी गयी। धीरे-धीरे लालच की हद बढ़ गयी और सभी उपभोक्ता सामनों के दाम बढ़ते गये हैं और मध्यम व उच्च वर्ग की आमदनी व बचत उनकी जेब से निकल बड़ी कम्पनियों के खातों में चली गयी है। अब कर्ज, ईएमआई, तनाव, क्रेडिट कार्ड, बेरोजगारी, दिशाहीनता, जड़ो से कटाव, अनुपयोगी शिक्षा लिये यह वर्ग चौराट्टे पर खड़ा है, और एक प्रतिशत उच्चतम वर्ग इस लूट को विदेशों में पहुंचा चुका है। देश में महंगाई, मंदी, मुद्रा स्फीति व बेरोजगारी सभी बढ़ रहे हैं। घोटालों के द्वारा लूट, शेयर सट्टे द्वारा लूट, महंगाई द्वारा लूट, उपभोक्तावाद द्वारा लूट का जो कुचक्र कांग्रेस पार्टी ने खड़ा किया है, वह इसके लिए भस्मासुर बन गया है। कांग्रेस पार्टी का संगठन व नेतृत्व भी कमाल के हैं। संगठन है ही नहीं व 70 प्रतिशत से अधिक नेता दूसरे दलों से यहाँ आये हुए हैं। अगर सच कहें तो मनसबदारी प्रथा के समान ठेके उठा दिये गये हैं, वफादारी मापदण्ड है और लूट का हिस्सा देते रहना पद पर बने रहने की गारंटी। यह जनता के हितों को संरक्षित करने वाली पार्टी रही ही नहीं, यह अल्पसंख्यकों व अवसरवाादियों का गठजोड़ है जो सिर्फ और सिर्फ शासन करने व लूटतंत्र का राज बनाये रखने को आतुर है और किसी भी संवैधानिक संस्था की बाट लगा देता है, किसी की भी गरिमा भंग कर सकता है और किसी भी स्तर तक जा सकता है। ‘ठेका पद्धतिÓ की यह शैली अब बहुसंख्यक समुदाय को समझ आ गयी है और वह ‘बांटो व राज करोÓ के षड्यंत्र को समझ चुका है और वह अब एकजुट हो रहा है, ऐसे में कांग्रेस का पतन तय हैं। कहा जाता है कि जब प्रमुख कांग्रेसी नेता व यूपीए के सहयोगी दलों के नेता अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करते हैं तब दुनिया के शेयर बाजारों में खासी हलचल मच जाती है। डॉलर-पौंड-रूबल-यूरो-दिनार की विनिमय दरों के उतार-चढ़ाव भी इन नेताओं की ही देन हैं। अब इस खेल को पूरा देश समझ चुका है अत: इनसे निजात चाहता है और यही कांग्रेस के पतन का कारण बन गया है। कांग्रेस के काले कारनामों में भागीदार सभी देश व उनका पोषित मीडिया भारत में उपभोक्तावाद, मानवाधिकार नारीवाद, सुशासन, पारदर्शिता, कानून के शासन व लोकतंत्र के विकास संबंधी आंदोलनों को वित्तीय सहायता देते रहे है। यह एक और छलावा होता है, जो इनके कुकर्मों को ढांपने के काम आता है। जनता समझ चुकी है कि विभिन्न नक्सली गुटों, चर्च, मदरसों, पिछड़ी, दलित व जनजातीय, भाषाई व क्षेत्रीय अंदोलनों को भी यही देश संरक्षण व धन देते है तो आतंकवादियों को भी। इस दूहरे खेल का शिकार अब जनता नहीं बनना चाहती और न ही अपने देश को प्रयोगों का मैदान बनाना चाहती है अत: कांग्रेस का पतन तय है। जनता समझ चुकी है कि सोनिया प्रभावहीन है, मनमोहन कठपुतली है और राहुल अपरिपक्व है और शेष कांग्रेसी पुराने कांग्रेसियों के बच्चे हैं, इनमें जन नेता कोई नहीं है, भारत की बात करने वाला भी कोई नहीं। यह मुगल-ब्रिटिश शासन की अंतिम कड़ी आधे मुगल और आधे अंग्रेज है जिनसे निजात पाना जरूरी है। इसके बाद जो कोई भी विकल्प आयेगा वह इसके बेहतर व भारतीय होगा बस इनसे मुक्ति मिले।
पतन के कारण * राहूल गाँधी की अपरिपक्वता * सोनिया की गैर जवाबदेही * मनमोहन गैर राजनीतिक व्यक्तिव * प्रणव चिदंबरम का युद्ध * कांग्रेसी प्रवक्ताओं की दबंगई शैली वाले बयान * सांप्रदायिक नीतियां * अल्पसंख्यकपरस्त वोट बैंक की राजनीति * सांस्कृतिक प्रतीकों का अपमान * 70 प्रतिशत बाहरी नेता * सहयोगी दलों का भ्रष्टाचार * भ्रष्टाचार, लूट व घोटाले * पेड मीडिया/पत्रकार व वामपंथी बुद्धिजीवियों को प्रश्रय * पश्चिमी माफिया * अतिबाजारवादी नीतियां * बेरोजगारी, महंगाई व मंदी * सीबीआई का दुरूपयोग * जन आंदोलनों के कारण उपजा जनाक्रोश * मोदी पर आक्रमण * क्रिकेट, पोर्न, सट्टे व फिल्मी अश्लीलता व भौंडेपन को बढ़ावा देना। * नक्सलवाद, चर्च व एनजीओ (विदेशी फंडेंड) को प्रश्रय * दबंगई की राजनीति * बांटो एवं राज करो का खेल * संवैधानिक संस्थाओं का अपमान * सोनिया की बीमारी * मुगल शैली का माफिया राज * सोनिया मनमोहन व प्रमुख नेताओं की बढ़ती उम्र * सत्ता विरोधी जन रूझान काश कांग्रेस ऐसा करती! 1. देश के औद्योगिक विकास को गति देती और विदेशों से माल मांगने पर रोक लगाती। 2. पार्टी को संगठनात्मक रूप से मजबूत करती और जन नेताओं को यथोचित सम्मान देती तथा जनभावनाओं की कदर करती। 3. परिवार वाद से मुक्त हो पाती। 4. बांटो और राज करो के स्थान पर देश की आत्मा व सांस्कृतिक स्वरूप को समझती और पहचानती तथा देश कोर समग्र विकास का नक्शा बनाती। 5. पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना करती।
पतन के कारण * राहूल गाँधी की अपरिपक्वता * सोनिया की गैर जवाबदेही * मनमोहन गैर राजनीतिक व्यक्तिव * प्रणव चिदंबरम का युद्ध * कांग्रेसी प्रवक्ताओं की दबंगई शैली वाले बयान * सांप्रदायिक नीतियां * अल्पसंख्यकपरस्त वोट बैंक की राजनीति * सांस्कृतिक प्रतीकों का अपमान * 70 प्रतिशत बाहरी नेता * सहयोगी दलों का भ्रष्टाचार * भ्रष्टाचार, लूट व घोटाले * पेड मीडिया/पत्रकार व वामपंथी बुद्धिजीवियों को प्रश्रय * पश्चिमी माफिया * अतिबाजारवादी नीतियां * बेरोजगारी, महंगाई व मंदी * सीबीआई का दुरूपयोग * जन आंदोलनों के कारण उपजा जनाक्रोश * मोदी पर आक्रमण * क्रिकेट, पोर्न, सट्टे व फिल्मी अश्लीलता व भौंडेपन को बढ़ावा देना। * नक्सलवाद, चर्च व एनजीओ (विदेशी फंडेंड) को प्रश्रय * दबंगई की राजनीति * बांटो एवं राज करो का खेल * संवैधानिक संस्थाओं का अपमान * सोनिया की बीमारी * मुगल शैली का माफिया राज * सोनिया मनमोहन व प्रमुख नेताओं की बढ़ती उम्र * सत्ता विरोधी जन रूझान काश कांग्रेस ऐसा करती! 1. देश के औद्योगिक विकास को गति देती और विदेशों से माल मांगने पर रोक लगाती। 2. पार्टी को संगठनात्मक रूप से मजबूत करती और जन नेताओं को यथोचित सम्मान देती तथा जनभावनाओं की कदर करती। 3. परिवार वाद से मुक्त हो पाती। 4. बांटो और राज करो के स्थान पर देश की आत्मा व सांस्कृतिक स्वरूप को समझती और पहचानती तथा देश कोर समग्र विकास का नक्शा बनाती। 5. पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना करती।