हमें तेजस के वायु सेना के टेस्ट मैं पास होने की ख़ुशी मनानी चाहिए या इसके छबीस साल के लम्बे अंतराल व् सीमित मार की शक्ति का दुःख ?
देश के शीर्षस्थ नेताओं , मीडिया व् जनता को यह समझना होगा की यदि हम डिजाईन तक्निक मैं पश्चिम से पीछे हैं . इस ज्ञान की कमी को हमें ऐसे ही पार करना होगा . देर का कारण यह भी है की एयरफोर्स अपनी जरूरतें चीन व् पाकिस्तानके हिसाब से बढाती रहती हैं . अर्जुन टैंक मैं रात की दृष्टि , स्टील्थ हवाई जहाज, हवा मैं तेल भरना , मारक क्षमता व् ज्यादा दूरी तक जाना इत्यादि जरूरतें बाद मैं आयीं . हमारी क्षमता पश्चिम से पंद्रह साल बाद भी पंद्रह साल पीछे रहेगी . पर तब भी स्वाबलंबन आवश्यक है .इसे समझना आवश्यक है.
यदि तेजस का दूसरा मॉडल २०२१ मैं आ भी जाता है तो भी तब तक चीन हमसे आगे ही रहेगा . पाकिस्तान नए जहाज खरीद लेगा . पर इन सब के बावजूद हमें रक्षा मैं आत्म निर्भरता की ओर बढ़ते रहना चाहिए . २०२१ तक हो सके हमें नए स्टील्थ बॉम्बर के कुछ स्क्वाड्रन और खरीदने पड़ें .
तेजस के बाद विश्व के देश हमें ज्यादा आधुंनिक तकनीक बेचेगे व् हमें अंततः फायदा ही होगा .
भारत को कभी तो औद्योगिक डिजाईन सीखना होगा . पूरी एक इंडस्ट्रियल क्रांति से हम अंग्रेजों के शासन काल मैं पिछड़ गए उसकी भरपाई ऐसे ही होगी .
हमें जनरल एल्क्ट्रिक से डिजाईन ट्रेनिंग कॉन्ट्रैक्ट करना होगा , राफेल से मिसाइल डिजाईन का . रूस से मिल और नए हथियार बनाने का .अंततः हम विश्व के सस्ते शस्त्र व् satelite निर्माता के रूप मैं उभर सकते हैं यदि इस दृष्टि से प्रयास करें.
परन्तु देश की रक्षा व् स्वाबलंबन पर कीमत का अंकुश न लगायें .
लेख को लिंक पर क्लिक कर पढ़ें
Introducing Tejas: India’s interceptor, battle-ready by 2015
PTI
The Light Combat Aircraft (LCA), Tejas, takes off during its initial operational clearance for induction into the Indian Air Force (IAF) in Bangalore on 20 December 2013.
New Delhi: The indigenously built Light Combat Aircraft (LCA) Tejas got its second Initial Operation Clearance today at an event in Bangalore, attended by Defence Minister A K Antony.
For the next 12 to 15 months, the Air Force will integrate the new aircraft into the force. Tejas is expected to be battle ready by the end of 2015.
The Aeronautical Development Agency (ADA) of Hindustan Aeronautics Limited (HAL) will work on mid-air refueling and enabling the aircraft to carry long range beyond visual range missiles. Tejas is a light weight, single engine, single seat, supersonic and multi-role, combat aircraft.
It has been in the making for almost three decades and has seen several delays and huge cost over-runs.
Tejas will be replacing the aging MiG-21 Russian made fighter aircraft and play a key role in air defence in the form of an interceptor.
As of now, Tejas is capable of carrying missiles with a limited range and bombs.
According to estimates, India has spent over Rs. 25,000 crore to develop the aircraft. But despite the delay and extraordinarily large amount of money spent, Indian scientists still haven’t been able to develop an engine powerful enough to fly the aircraft. The Kaveri engine developed for Tejas failed to make the mark.
The first 20 Tejas will be powered by the American GE-404 engines; the next six Mark-II squadrons (16-18 jets in each) will have the more powerful GE F-414 engines. India will be buying 99 GE-414 engines from GE at a cost of $822-million.
Despite the delays and cost overruns, the Initial Operational Clearance for the Tejas and its induction into the Air Force is an important milestone of for India and the country’s endeavour to indigenously produce military equipment and reduce its dependence on foreign manufacturers.