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AAP (आम आदमी पार्टी ) व् केजरीवाल : जिन्दा हाथी एक लाख का पर मरा हाथी सवा लाख का

अंततः एक महीने से अब गयी तब गयी केजरीवाल सरकार आखिर कल  चली गयी .

पर जाते जाते वह बीजेपी की नींद व् सुख चैन ले गयी .

क्योंकि ज़िंदा हाथी  एक लाख का मरा हाथी सवा लाख का . सत्ता के बहार आप पार्टी और खतरनाक हो गयी है .

यदि अब भी बीजेपी सुख चैन की बंशी बजा रही है तो वह जरूर दिग्भ्रमित व् स्वपन लोक मैं विचर रही है . केजरीवाल इमानदारी व् गरीबों के मसीहा की पूरी चादर ओढ़ कर निकले हैं . उनके  वोट बैंक मैं पांच प्रतिशत पढ़ा लिखा वर्ग कम बेशक हुआ हो पर बहुत युवा व् गरीब उनके साथ और जुड़ गया है . केजरीवाल को इसका अंदाज था की उनका लोकपाल बिल संविधान के खलाफ है . उनकी सरकार अपने वायदे पूरे करने मैं एकदम असमर्थ थी . लोक सभा के चुनाव दस्तक दे रहे थे . दिल्ली की सरकार उनकी वास्तविक अभिलाषाओं मैं बाधक थी . उन्हें शायद धरने के बाद निकलने की सोची थी पर २६ जनवरी बरबाद करने से देश की जनता उन  के विरुद्ध हो जाती.

मुकेश अम्बानी की गैस के बढ़ने वाले दामों को उछाल कर उन्होंने फिर कांग्रेस व् बीजेपी को रक्षात्मक पोज मैं ला दिया और शहादत की ओधनी ओढ़ कर निकल गए  .पर मुद्दा ठीक है और मुकेश अम्बानी अपना बचाव चुनाव से पहले नहीं कर पाएंगे .

कांग्रेस तो नंगी है वह क्या नहाएगी और क्या निचड़ेगी पर बार बार बीजेपी व् कांग्रेस का नाम भ्रष्ट पार्टियों मैं ले वह बीजेपी की छवी खराब करने मैं ज्यादा सफल हो रहे हैं . उन्हें अपने नए पन  का फायदा है .उन पर कोई आरोप नहीं लग सकता . पर दिल्ली की बीजेपी मैं कोई करिश्मे वाला नेता नहीं  है . इस् लिए  वह केजरीवाल की दोगलापन जनता को समझा नहीं  पा रही .

राष्ट्रीय स्तर पर भी भ्रष्टाचार का मुद्दा बीजेपी गंवा चुकी है . आप भी हिंदी बेल्ट मैं ही चुनाव लड़ेगी व् बीजेपी को ही ख़त्म करेगी .

बीजेपी को यह सिद्ध करना  बहुत मुश्किल है की कांग्रेस के लाखों करोड़ के भ्रष्टाचार के मुकाबले बंगारू लक्ष्मण कुछ भी नहीं है . आप दोनों को भ्रष्ट सिद्ध कर देगी . सुषमा ने येदुरप्पा को हटा के जो गलती की है उसे बीजेपी को कभी क्षमा नहीं करना चाहिए .पर इसलिए कांग्रेस उन्हें शायद समर्थन दे दे क्योंकि इस्लामिक ताकतें किसी हालत मैं मोदी को प्रधान मंत्री नहीं बनाने देना चाहतीं चाहे अडवाणी या सुषमा ही क्यों न आ जाएँ . केजरीवाल उनके इस सपने को पूरा करने का बहुत अच्छा साधन हैं .

पर मैं केजरीवाल के क्यों विरुद्ध हूँ ?

चालीस साल सरकार में बिताने  के मैं यह जान चुका हूँ की कोई लोकपाल , सीबीआइ , सीवीसी , लोकायुक्त इस देश से भ्रष्टाचार नहीं मिटा सकता . यह सभी संस्थाएं सीमित केस पर काम कर पातीं है . यह मुकद्दमा डाल सकती हैं दंड नहीं  दे सकती . यह सब भी अपने दामों पर बिक जाती हैं . अब कोर्ट भी इस विकार से अछुते नहीं हैं . इसलिए लोकपाल पर अति विश्वास करना गलत है . लोकपाल के दायरे मैं प्रधान मंत्री का आना एक दम गलत है . देश मैं कई ऐसी स्थितियां आती हैं जब प्रधान मंत्री को देश हित मैं गलत काम करने पड़ते हैं . उन्हें इसी लोकपाल के अधीन करना विनाश को निमंत्रण देना है . लोकपाल को इमानदारी का प्रतीक मानना भी बहुत बड़ी गलती होगी . देश को लोकपाल से ज्यादा विकास की आवश्यकता है  . गरीबी नारों से नहीं विकास से मिट्ती  है . इस देश को विकास व्  निर्णायक सरकार की सबसे ज्यादा जरूरत है . यह बात केजरीवाल भी जानते हैं .

पर उन्होंने सत्ता के लोभ मैं देश के विकास को मीलों पीछे धकेल दिया . यदि बिजली की दर कम कर दी तो नए कारखाने कभी नहीं आएंगे . उन्होंने सब्सिडी  से बिजली की दर कम कर और देश का नुक्सान कर दिया है  . रिलायंस को तो उसका पैसा मिल गया पर गरीब को लगा की केजरीवाल मसीहा हैं . इसी तरह कितने कॉन्ट्रैक्ट  पर काम करने वालों को नियमित कर पाएंगे ? केजरीवाल की पूरी राजनीती झूट पर आधारित  है पर जयललिता , करूणानिधि , सोनिया सभी ने तो देश को बेचा है तो केजरीवाल ने क्या नया गलत कर दिया .

पर गलत यह है की आदर्श का प्रतीक आम आदमी पार्टी वास्तव मैं मात्र आम पार्टी है .

देश के हित मैं मोदी कहीं ज्यादा अच्छे प्रधान मंत्री हैं .

पर यह कम जानकार युवाओं , औरतों व् गरीबों को कैसे समझाएं यह सोचना बहुत आवश्यक है . नहीं तो यह सभी केजरीवाल के  साथ हो जायेंगे . इस समय मोदी के अतिरिक्त किसी भी अन्य को दिया वोट कांग्रेस के वोट के बराबर है . एक बार कांग्रेस सरकार मैं आ गयी तो फिर kejriwal sheilaसब को सीबीआई के हल मैं जोत देगी और अपना देश लूटने का कार्यक्रम और प्रखर कर देगी .

इश्वर ही देश को इस  केजरीवाल की मृगमरीचिका से निकाल सकता है .

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