दीवाली जम कर पटाखों , दीयों और मिठाइयों से ही मनाएं – आधुकनिकता के नाम पर हिन्दुओं से छलावा

दीवाली जम कर पटाखों , दीयों और मिठाइयों से ही मनाएं – आधुकनिकता के नाम पर हिन्दुओं से छलावा

diwali crackers                                          राजीव उपाध्याय

पिछले कुछ दशकों से छद्म धर्मनिरपेक्षवादी हिन्दू त्योहारों को एजेंडा बनाये हुए थे . कांग्रेस ने अपने पुराने शासन काल मैं हिन्दू त्योहारों की छुट्टियां कम कर मुस्लिम व् इसाई त्योहारों की छुट्टियाँ बढ़ा दी . एक नारा यहाँ तक दिया की हिन्दू त्यौहार सब प्रान्तों मैं अलग हैं तो कैसे छुट्टी दें . इससे तो अँगरेज़ अच्छे थे . उन्हें हिन्दुओं की यह सब समस्याएं बडी क्यों नहीं लगीं .फिर आज की कुछ आधुनिकतावादी सिरफिरी नारियां, कभी पटाखे मत जलाओ  क्योंकि प्रदुषण होता है शोर होता है इत्यादि कहने लगीं . कोई होली पर रंग मैं कमी ढूढने लगीं . सामान्य जनता तो धर्म को त्योहारों से ही ज्यादा जानती थी जैसे रावण दहन बुराई पर अच्छाई की जीत है . दीवाली भरत के त्याग का भरत मिलाप है इत्यादि . होली प्रह्लाद की हिरनकश्यप पर विजय है .जनता मैं त्योहारों के प्रति अविश्वास फैलाना एक सोच समझी रणनीति थी जबकि साठ के दशक भी त्योहारों का वर्णन पाठ्य पुस्तकों तक मैं होता था .एक समय पचास  के दशक मैं था  जब  रक्षा बंधन , जन्माष्टमी , भैया दूज  इत्यादि की छुट्टी होती थी . जन्माष्टमी पर सब दिन मैं व्रत रखते थे , झांकियां सजाते थे और रात को पूरी कचौड़ी , पंजीरी , इत्यादि खाते थे . शिव रात्री के अपने नियम थे .रक्षाबंधन एक प्रमुख त्यौहार था जो जीवन मैं घोर दुःख के समय भाई को बहन की जीवनयापन के दायित्व से बोध करवाता था . बिना छुट्टी  के त्यौहार सिर्फ एक औपचारिकता बन गए . यदि नौ बजे ऑफिस पहुंचना है , स्कूल जाना है तो कैसे रक्षाबंधन या जन्माष्टमी मनाएं .इन्शुरंस  इत्यादि कहाँ थीं जीवन धर्म के आधार पर जिया जाता था . त्योहारों का सदा से हमारी संस्कृति मैं विशेष महत्त्व रहा है .

जनता को आशा थी की बीजेपी कांग्रेस की गलतियाँ सुधारेगी पर बीजेपी अपना राष्ट्रीय व् सांस्कृतिक एजेंडा तो एकदम भूल ही गयी है . वह भी शुद्ध राजनीती के वोट गिनने लगी है . अब कांग्रेस की ही लय पर बीजेपी आधुनिकता के छलावे को भी बढ़ावा दे रही है विशेषतः हिन्दुओं के लिए . बीजेपी की चुनावी जीत उसे अहंकार दे रही है और वह अपने कोर वोटर के हिन्दू अजेंडे  को बिलकुल भूल रही है . कौन उसे याद दिलाये की अटल बिहारी वाजपेयी के गाँधी वादी समाजवाद ने बीजेपी को संसद मैं दो सदस्यों की पार्टी बना दिया था . अंत मैं जनता का मोहभंग उसे महंगा पडेगा . आठ प्रतिशत आर्थिक प्रगति की दर तो कांग्रेस ने भी दे दी थी . उसे वापिस दे कर बी जे पी कौन सा नया तीर मार लेगी . हिन्दुओं ने इस दिन का इन्तिज़ार साठ साल किया था .क्या उनकी आकान्शायें पूरी करना व् उनका  विश्वास इस सरकार को बचाना होगा .

स्वस्थ मंत्री डा हर्षवर्धन ने ट्वीट  किया की बिना पटाखों के दिवाली मनाएं.

क्यों नहीं पटाखे जलाएं ?

प्रदूषण जो एक लाख कार जो हर साल आती हैं उनसे नहीं होता . कोयले से बिजली बनाने से नहीं होता ? पटाखों से उनके मुकाबले नाममात्र का प्रदुषण होता है वह भी एक दिन कुछ समय के लिए ! अज़ान जो हर मस्जिद से पांच बार लाउड स्पीकर से दी जाती है उससे ध्वनी प्रदुषण नहीं होता . साल मैं एक बार आने वाले हिन्दू त्योहारों पर ही गाज क्यों गिरती है . कोई गणेश उत्सव पर विसर्जन पर रोक लगा देता है , कोई दही हांडी पर कानून बना देता है . हिन्दुओं की संस्कृति से सरकार व् कोर्ट दूर क्यों नहीं रहते जैसे और धर्मों के साथ करते हैं . वैलेंटाइन डे बारे क्यों नहीं सरकार या कोर्ट बोलते . लड़कियों को पब जाने से रोकना क्यों गलत है ?क्यों समलैंगिकता के मूर्खतापूर्ण समर्थन पर हम चुप हैं. सिर्फ हमारे त्यौहार ही मिले नेताओं को अपनी प्रगतिशील आधुनिकता चमकाने के लिए !

जिस देश मैं सन २०१३ साढ़े पांच लाख लोग टीबी से मरे हों या ढाई लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं मैं मरे हों  उस देश के स्वस्थ मंत्री को कोई और तरीका या विषय नहीं मिला सुर्ख़ियों मैं आने के लिए . प्रदुषण वास्तव मैं गंभीर वैश्विक समस्या है. हमारे स्वस्थ पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़  रहा है .पर यदि प्रदुषण कम करना है तो गाड़ियों व् मोटर साइकलों पर रोक लगायें , मेट्रो व् बसें बढ़ाएं . बिजली घरों का धुआं कम करें .सौर व् वायु उर्जा का उपयोग बढ़ाएं .यह दीवाली पर पटाखे जलने की सांकेतिक भाषा न प्रयोग करें . सांकेतिक बातें कांग्रेस ने बहुत कर लीं और उसे जनता को बेवकूफ बना के क्या मिला जग विदित है .यदि कुछ करना है तो असल मैं कर के दिखाएँ.

देश समृद्ध हो रहा है .अपने त्यौहार हिन्दुओं को ज्यादा जोर शोर से व् पारंपरिक रूप से ही मानाने चाहिए . अब ही तो ख़ुशी के दिन आये हैं  जिनका हमें इन्तिज़ार था .गणेश पूजा धूम धाम से करें व् विसर्जन समुद्र या नदी मैं ही करें , दही हांडी पारंपरिक का पर्व रूप से ही मनाएं , होली रंगों व् गुलाल से खेलें , जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की झांकियां सजाएँ , दशहरा व् रक्षा बंधन बिलकुल मनाएं और दीवाली जम कर पटाखे चला कर , दिये  व् मिठाइयों से ही मनाएं . हमारी संस्कृति से ही हमारी उन्नती उपजेगी .जो उन्नति करनी वह वास्तविक होनी चाहिए सांकेतिक नहीं .

अगर सरकार यदि वोटों बैंकों की खातिर हिन्दुओं के लिए कुछ नहीं कर सकती तो कम से कम हिन्दू संस्कृति व् मंदिरों से सरकार व् कोर्ट को दूर ही रहना चाहिए . हिन्दुओं के श्रद्धा व् विश्वास के विरूद्ध बयानबाजी बंद करें और हमारी सांस्कृतिक विरासत मैं दखलंदाज़ी न करें .

मंत्री जी हमें हमारे हाल पर यदि छोड़ दें तो बहुत कृपा होगी .

Filed in: Articles, Editorial, संस्कृति

No comments yet.

Leave a Reply