सलमान की सजा : बहुत खुश मत हो देशवासियों ! टीवी चैनलों मैं फिर गंभीर चिंतन का अभाव
क्या किसी कैंसर के गंभीर मरीज को धोड़ी देर के लिए मोर्फिन के इंजेक्शन से दर्द कम होने की बहुत ख़ुशी मनानी चाहिए ?
उत्तर साफ़ है दर्द से राहत तो ठीक है पर असली इलाज़ कहीं ज्यादा जरूरी है . पर यदि कोई इलाज की जगह सिर्फ दर्द निरोधक इंजेक्शन देता रहे तो वह धोखा है . ठीक यही हाल सलमान की सज़ा का है .
सलमान ने गलती की , एक आदमी की मौत हुयी इसलिए न्यायालय व् पोलिस ने अपना कर्तव्य निभाया व् उसे सज़ा दी यह ठीक हुआ . सलमान का हर प्रशंसक मानेगा की शराब पी कर बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाना व् एक आदमी को मार देना गंभीर अपराध था . सलमान को सज़ा मिलना उचित था न्यायालय व् पोलिस ने उचित किया .
पर टीवी चैनलों पर ज्ञान परोसने वाले एक पांच वर्ष की जेल पाए मुलजिम को दो दिन की जमानत पर जो भाषण दे रहे थे उससे लगा की अब इस देश मैं तुलसीदास जी की रामायण की चौपाई उल्टी हो कर यह बन गयी है
‘समरथ के सब दोष गोसाईं ‘, अर्थात जो समर्थ है वही दोषी है . आदमी औरत मैं औरत सदा ही ठीक है समरथ पुरुष अब टीवी युग मैं सदा गलत माना जता है . स्कूटर व् पैदल की टक्कर मैं स्कूटर वाला गलत है . कार और स्कूटर की टक्कर मैं कार वाला ही गलत है . मुख्य मंत्री की बस से कोई दुर्घटना हो जाय तो ड्राईवर नहीं मुख्य मंत्री दोषी है !टीवी चैनलों के पास सच जानने का या विश्लेषण करने का समय नहीं है . उन्हें अपनी टीआरपी चाहिए इसलिए किसे सूली पर टाँगें ?
इसलिए जो समर्थ है वही दोषी है !
सत्य व् न्याय के पहरेदारों का इतना पतन एक गंभीर विषय है .
अब सड़क हादसों व् उनसे होने वाली मृत्युओं व् उनके दोषियों की सज़ा के बारे मैं भारत व् विश्व के कुछ तथ्य जानिए . इतने चेनलों ने इतने दिन ज्ञान परोसा .उनसे यह अपेक्षा थी की देश को इन तथ्यों से भी अवगत करा देते .
सच यह है की भारत मैं आज विश्व मैं सबसे अधिक सड़क हादसे होते हैं .. आज पांच लाख दुर्घटनाएं हर साल होती हैं जिमें १४२ ४८७ लोगों की जान गयी .सड़क हादसों मैं १९७० से २०११ तक लगभग चार गुनी वृद्धि हुयी है पर इन हादसों मैं मरने वालों मैं लगभग ९.८ गुनी वृद्धि हुयी है . इस समय मैं मोटर गाड़ियों ( २ – ३-४ पहिये) मैं सौ गुनी वृद्धि हुयी है व् सड़कों मैं मात्र चार गुनी वृद्धि हुयी है .
७५% दुर्घटनाएं चालक की गलती से होती है .
सड़क दुर्घटनाएं : भारत व् विश्व :
भारत व् चीन लगभग एक जैसे हैं . भारत मैं एक लाख आबादी पर १९.५ लोगों की मौत होती है चीन मैं २०.७ की .पाकिस्तान मैं १७.४ , फ्रांस मैं ४.९ और इजराइल मैं मात्र ३.३ लगों की मौत होती है . विकसित देशों मैं सड़क हादसों मैं हमसे चौथाई लोग ही मरते हैं .
पर देश की दूसरी मुख्य चिंता तो सलमान की सज़ा से एक दम छुप गयी . जहाँ एक और दुर्घटनाओं व् उन्मसे होनी वाली म्रत्यु मैं इतनी वृद्धि हुयी है पर वहीं पर टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक खबर के अनुसार ५२ मृत्यु की घटनाओं मैं से मात्र सात को सज़ा मिली . तो एक सलमान को सज़ा दिला कर वह वाही बटोरने वाली पोलिस वास्तव मैं बहुत अक्षम हो गयी है व् सजाओं मैं विगत वर्षों मैं बहुत कमी आयी है .
भारत मैं राज्यों मैं तमिल नाडू मैं सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं के केस रजिस्टर होते हैं . वहां पर सन २००८-९ मैं शराब पे कर गाड़ी चलने के लिए १३५६ लाइसेंस रद्द हुए .२०११ -१२ मैं घटते घटते यह संख्या मात्र २७५ रह गयी . परन्तु इस दौरान राज्य मैं सड़क दुर्घटनाएं ६०४०९ से बढ़ कर ६५८७३ हो गयीं !
तो वास्तविकता यह है की सलमान की सज़ा तो वास्तव मैं सिर्फ दर्द दबाने की दवा है,एक छलावा है , वास्तव मैं देश मैं सड़क दुर्घटना का रोग ला इलाज़ हो रहा है और चनेलों समेत किसी को इसकी चिंता नहीं है !
पर दूसरी बात भी सच है . आज समर्थ को अपनी जान बचने के लिए हर कोई टांगने को तैयार हो जता है .
पहले संजय दत्त का ही केस लें . सर्वोच्च न्यायलय ने निर्देश दिया की संजय आतंकवादी नहीं मात्र गलत हथियार रखने का दोषी है . यह तो देश का हर बच्चा जनता था की संजय आतंकवादी नहीं है . तो पोलिस ने क्यों उसे आतंकवादी की सज़ा दिलवाने की चेष्टा की . भला हो बाल ठाकरे का जिन्हूने उसे टाडा से छुड्वाया जौ उसके कांग्रेसी सांसद पिता न करवा पाए .
इसी तरह सड़क हादसे की अधिकतर मृत्यु के केस धरा ३०४ के अंतर्गत किये जाते हैं जिसमें दो साल की सज़ा होती है . सलमान को बहुत कठोर धाराओं मैं डाला गया . उनकी ह्त्या की कोई मंशा तो नहीं थी .
मेरे विचार से संजय दत्त व् सलमान की सज़ा पूरी न्यायिक प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद गवर्नर या राष्ट्रपति को कम करनी चाहिए क्योंकि दोनों का जुर्म गैर इरादतन था व् दोनों की राष्ट्र भक्ति मैं संदेह नहीं है .
परन्तु इस बौने युग मैं कौन इतना साहस कर सकता है ?