सिंगापूर के दिवंगत राष्ट्रपति ली कुआँ के अनुसार हिन्दू व् मुसलमानों की प्रकृति मैं अंतर व् सफलता : एक पाकिस्तानी टीवी एंकर की जुबानी ( विडियो अवश्य देखें )
सिंगापूर के दिवंगत राष्ट्रपति ली कुआँ के अनुसार, जब वह सिंगापूर मैं वकालत करते थे तो यदि हिन्दुओं को समझाते थे कि केस मैं दम नहीं है तो वह मान कर उनसे दोनों पक्षों मैं सुलह करवा देने की प्रार्थना करते थे . परन्तु यदि यही सलाह वह मुसलामानों को देते थे तो वह कहते थे की वकील साहेब आप केस डाल दीजिये मैं नहीं तो मेरा बेटा और नहीं तो उसका भी बेटा जब तक संभव होगा लड़ेंगे और इन्शः अल्लाह जीतेंगे . पाकिस्तानी एंकर फिर दुःख प्रकट करता है कि जो कौम अपने बच्चों को लडाई विरासत मैं दे उसका क्या भविष्य है ?
इसका उदाहरण है की १९४७ के दंगों के बाद लाखों सिख पाकिस्तान से भारत आये और आज वह अत्यंत समृद्धिशाली हैं . कमोवेश यही हाल उगांडा से सिर्फ पहने हुए वस्त्रों मैं आये इंग्लैंड मैं बसे गुजरती भारतियों का है .अब कोई शरणार्थी नहीं है और सब खुशहाल हैं .परन्तु उसी समय उतने ही पलेस्टाइन शरणार्थी अरबों की जिद्द के चलते जॉर्डन के नागरिक नहीं बने और आज भी शरणार्थी हैं और अभी बीस साल तो और यही जीवन बिताएंगे .उसके बाद भी गरीबी से मुक्ती नहीं पाएंगे . यहाँ से गए मुसलमान पकिस्तान मैं आज भी मोहाजिर ( रिफुजी)) कहलाते हैं .
यही सहिष्णुता व् समरसता हिन्दुओं की विरासत है व् उनकी सफलता का राज है .इसको बचा कर रखना आवश्यक है .
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