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मोदी सरकार व् आर्थिक विकास : इमानदारी व् लगन के बावजूद असफल क्यों : राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ से मीटिंग उपयुक्त

modi bhagwat_storyमोदी सरकार व् आर्थिक विकास : इमानदारी व् लगन के बावजूद असफल क्यों : राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ से मीटिंग उपयुक्त

देश के देश द्रोही मीडिया की प्रतिक्रया तो स्वाभाविक है की आर एस एस सोनिया गाँधी की तरह दूरा सता का केंद्र बन रहा है . मोदी सरकार का आर एस एस प्रमुख से मिलना सर्वथा उपयुक्त था . हिन्दू एकता को बनाये रखना मोदी सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए . यदि आर एस एस भी पराया हो गया तो बी जे पी का अपना कौन है ? मीडिया विशेषतः अंग्रेजी मीडिया तो सदा से बिका हुआ है वह देशद्रोही ह…ै और मोदी सरकार का हितेषी नहीं है . छद्म धर्मनिरपेक्षतावादियों ने जो देश की अर्थ व्यवस्था व् संस्कृति का बंटाधार किया है वह जग विदित है . मोदी सरकार कुछ कर ले मुसलमान उसे वोट नहीं देंगे . कांग्रेस ने एडी छोटी का दम लगा के देख लिया अब मोदी सरकार वही कांग्रेसी तुष्टि कारन की नीतियाँ अपना रही है .उसका भी वही कुपरिणाम होगा .
इसाई जगत तो मोदी जी के पीछे पडा ही हुआ है . इसलिए अपनों को साथ रखना बहुत आवश्यक है .
मोदी सरकार ने आर एस एस के साथ जो मीटिंग की वह बहुत आवश्यक थी .

राजनीती मैं विकल्प न होने से चुनावों की जीत से भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है . मोदी सरकार अभी कुछभी आर्थिक विकास या सांस्कृतिक परिवर्तन के परिणाम दिखाने मैं पूर्णतः असफल रही है . इस लिए इस सर्व व्यापी आक्रोश को आर एस एस से समझ लेना ही उचित था . वह तो अपनों की संस्था है भला ही सोचेगी .

परन्तु प्रश्न यह है की गुजरात मैं इतने सफल मोदी केंद्र मैं असफल क्यों हो गए ?

इसका उत्तर कठिन है पर फिर भी समझना आवश्यक है .

मोदी सरकार के पास बुद्धिमान लोगों की कमी है .
मात्र पारदर्शिता , इमानदारी , लगन से विकास नहीं होगा .
आर्थिक विकास के अवरुद्ध होने मैं नौकरशाही की समझ से काम नहीं होगा . वह तो जो अब तक सीखी है उसी तरह चल रही है .

कोर्प रेट जगत देश की शक्ति है दुश्मन नहीं . उसका फायदा देश का फायदा है . कोयला , स्पेक्रुम महँगा कर हमने उसकी लाभ क्षमता को कम किया है .कहीं तो सस्ता भी कर्न्मा होगा . पहले जमीन सस्ती थी अब वह भी अत्यधिक महंगी हो गयी . बिजली मंहगी हो गयी . बिजली बनाने के लिए गैस व् कोयला नहीं है . स्टील चीन से आ रहा है . हमारे उद्योगों का कोई मई बाप नहीं है . इससे तो बेईमान सरकार ही अच्छी थी
अभी भी नौकरशाही डर से या सता के अभिमान मैं विकास के प्रति कृत संकल्प नहीं है . अत्यधिक इमानदारी की मांग ने ने नौकरशाही को डरा रखा है . वह अपने को इमानदार सिद्ध करने के लिए अभी कोई ऐसा फैसला नहीं लेगी जिससे उस पर दाग लगे . डरी हुयी नौकरशाही कुछ क्रांतिकारी परिवर्तन नहीं ला सकती . इसके अलावा नौकरशाही बेलगाम हो गयी है . टैक्स मागी नूडल इत्यादि प्रकरण ने बेहद नुक्सान पहुंचाया है . देश पर अंतर्राष्ट्रीय विश्वास मैं कमी हुयी है .

हमने निरे ऍफ़ दी आई के प्रसताव पास कर दिए . पर कोई नहीं आगे आ रहा . माल बिक नहीं रहा है . दो साल के घर बिना बीके पड़े हैं . रिजर्व बैंक सिर्फ भाषण डे रहा है .
अटल बिहारी वाजपेयी व् मन मोहन सिघ के आर्थिक सलाहकार विकास के लिए कृत संकल्प थे .
इस सरकार मैं विकास को जानने वाला ही नहीं है तो विकास कैसे हो ?
यही हाल संस्कृति का है .
कांग्रेस ने ग से गणेश को ग से गधा कर दिया . उसे फिर गणेश करने का सहस इस सरकार मैं नहीं है . संस्कृति किसी की प्राथमिकता नहीं है . राम मंदिर किसी की प्राथमिकता नहीं है .
अपनों की सरकार का आकर्षण बहुत दिन नहीं चलेगा .

मोदी जी को कभी तो सफलता दिखानी होगी

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