पाकिस्तान को एशिया मैं चीनी इजराइल बनाने का प्रयास : ईरान ,सऊदी अरेबिया व् भारत की बदले परिपेक्ष मैं सुरक्षा

RKUपाकिस्तान को एशिया मैं चीनी इजराइल बनाने का प्रयास : ईरान ,सऊदी अरेबिया व् भारत की बदले परिपेक्ष मैं सुरक्षा
Rajiv Upadhyay

अब यह साफ़ हो गया है की चीन लम्बी पारी का खेल खेल रहा है .
वह अमरीका के प्रयासों को समाप्त करने के लिए पाकिस्तान को अपने इजराइल की तरह विकसित कर रहा है . पाकिस्तान को ७५०० किलोमीटर के तैल्मुर मिसाइल , ड्रोन इत्यादि दे कर वह किस को डरा रहा है .
यूरोप का भविष्य अब खतरे मैं है .पाकिस्तान के तैमुर मिसाइल इजराइल , सऊदी अरेबिया मिस्र व् यूरोप के लिए ख़तरा हैं . भारत से लड़ने के लिए पाकिस्तान तो गुलेल से ही परमाणु बम डाल सकता है .उसे तैमुर मिसाइल की क्या जरूरत . भारत पर जो हमला करना था वह आज से दस साल पहले ही कर सकता था. इस्रैल की तरह तरह हम मैं इच्छा शक्ति का अभाव था और हमने सांप को बड़ा हो जाने दिया .
अब सांप के काटने के डर का पूरा उपयोग चीन अपनी सुपरपावर दिखाने के लिए करेगा .
एक तो चीन के लिए ग्वादर पोर्ट बहुत आवश्यक है . पाकिस्तान की सेना १.५ कम सड़क रोजाना बना रही है . आठ सौ मैं से ५०० किलोमीटर सड़क तो बन चुकी है . शेष शीघ्र बन जाएगी . चीन इस रस्ते की रक्षा के लिए अपनी जी जान लड़ा देगा.
चीन ताइवान पर हमले के समय पाकिस्तान का उपयोग करेगा . भारत के तवांग पर भी चीन यदि अचानक हमला कर डे तो उसे अपने कब्ज़े मैं ले लेगा .
पाकिस्तान को इस्लामिक राष्ट्रों का नया सर परस्त बना कर चीन सऊदी अरेबिया व् ईरान को चुनौती दे सकता है .इस तरह चीन को एक नया इजराइल मिल जाएगा जो पश्चिम एशिया व् यूरोप के देशों का डरता रहेगा .अमरीका को भी सऊदी अरेबिया व् ईरान से पाकिस्तान पर अधिक विश्वास हो सकता है . इसलिए वह भी पाकिस्तान को सुपर पॉवर बनानने मैं सहायता दे रहा है .
उधर ईरान भारत से कुछ नाराज़ है .
उसने भारत के रक्षा समझौतों के अंतर्गत कुछ जासूसी उपग्रह भेजने को कहा जो भारत नहीं कर पाया व् रूस कर रहा है . इसी तरह भारत इजराइल के हितों का संरक्षक है . ईरान भारत से अपने खर्चे पर रेल लाइन बनाने को कह रहा है जो भारत को मानय नहीं है . पाकिस्तान व् चीन ईरान के नाराज़ होने का इन्तिज़ार कर रहे हैं .
मोदी जी की यु ए ई की यात्रा सऊदी अरेबिया बीव् भारत की नयी धुरी की शुरुआत हो सकती है . परन्तु ईरान इससे रुष्ट हो जाएगा.
ईरान चीन से भारत के लिए नहीं लडेगा . चीन ग्वादर के बराबर चाह्बहर बदरगाह का उपयोग कर ईरान को पैसे दे देगा . इस तरह वह ईरान व् अफ़ग़ानिस्तान को खरीद लेगा .
अंततः रूस भी ग्वादर व् चाह्बहार का उपयोग करने लगेगा .
भारत ईरान सऊदी अरेबिया रूस व् अमरीका को कैसे मित्र रख सकता है यह एक कूटनीतिक चुनौती है . परन्तु सब का दोस्त किसी का दोस्त नहीं होता . उसे रूस जैसा एक पक्का दोस्त हमेशा चाहिए होगा . रूस अब पाकिस्तान के करीब भी जा रहा है जो खतरनाक है .

भारत के लिए एक दूरगामी चिंतन की आवश्यकता है . विश्व एक नयी दिशा मैं जा रहा है जिसकी दिशा भारत अभी नहीं जान पाया है . इस दिशा को चीन निर्धारित कर रहा है . अमरीका बिना लडे चीन को नहीं रोक सकता .चीन पद्रह साल मैं तैवान को ले लेगा .

सबसे दयनीय स्थिति पकिस्तान की होने वाली है .

पहले उसने अफगानिस्तान मैं आतंकवादियों से जूते खाए अब चीन से खायेगा .
कोई देश किसी का पालतू कुत्ता बन कर विकसित नहीं हो सकता. पाकिस्तान मेहनत करने के बजाय विकास के आसान रस्ते खोज रहा है .
बिना मेहनत के विकास नहीं होता .
अब पंद्रह साल बाद पकिस्तान यह दुबारा सीखेगा.

भारत को पकिस्तान की दोस्ती की कोई जरूरत नहीं है . समय बीतने पर पाकिस्तान को यह भी साफ हो जाएगा की भोंकने से भारत डरेगा नहीं और काटना उसके बस मैं नहीं है.

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