5:37 pm - Thursday January 22, 0776

पूज्य तिरंगा दुश्मन की छाती पर गाडो डर क्या है..!! poem

हमने तुमको दिल्ली भेजा

डोली पर अरमानों की

जिस दिल्ली में बैठे हो

वो दुल्हन थी चौहानों की

हारे-थके,पराजित गौरी

अपने घर लौटाए थे

जिस दिल्ली के लिए शीश चौहानों ने कटवाए थे

उसकी पहरेदारी की अब दावेदाree

तुम पर थी

उस दिल्ली के स्वाभिमान की जिम्मेदारी तुम पर थी

हेमराज के हत्यारों से हाथ मिलाना बन्द करो

अरे शेर हो तुम! इस तरह पूँछ हिलाना बन्द करो

देशप्रेम की राह कठिन है चुनना होगा शूलों को

दोहराने में लगे हुए हो चौहानों की भूलों को…।।

इन भूलों को भूल भूल कर दोहराने के चक्कर में

सत्य,अहिंसा की भाषा में समझाने के चक्कर में

कितने और चिराग बुझेंगे उग्रवाद की आंधी में

चुनना होगा तुम्हे एक ही सावरकर या गांधी में

कितना धीरज और धरेंगे दिल्ली की कायरता में

कितने सैनिक और मरेंगे दिल्ली की कायरता में

हेमराज के अपराधी को साड़ी दी उपहार में

तो फिर बोलो कमी ही क्या थी यू पी ए सरकार में

वो साड़ी वो घनिष्ठता सब दफन हुई है मोदी जी

वीर शहीदों की खातिर वो कफ़न हुई है मोदी जी

यू एन,यू एस के समक्ष जो तन कर के अड़ जाता है

अपने एक सैनिक की खातिर दुनिया से लड़ जाता है

घुसपैठों पर 67 मुस्लिम देशों से ठन जाती है

दो घण्टे में गाज़ा पट्टी पर तोपें तन जाती हैं

देश नही झुकने दूंगा मैं। माइक से मत चीखो

तुम दुश्मन का निपटारा करना इज़राइल से सीखो

तुम मोदी जी एक बार तो मर्दानी भाषा बोले होते

बन्द पड़े शस्त्रागारों के दरवाजे खोले होते

संधि,वार्ता,समझौता सब कायरता की बातें हैं

समरांगण में सदा धनंजय प्रत्यंचा टनकाते हैं

अगर शेर हो तो शेरों की तरह दहाडो डर क्या है

wagah-border-india-pakistan-300x364पूज्य तिरंगा दुश्मन की छाती पर गाडो डर क्या है

-विख्यात मिश्रा

 

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