प्रधान मंत्री का गौ रक्षक बयान क्या संतुलित नहीं था ? : सच के दो रूप व् दोगले मीडिया की चाल
प्रधान मंत्री मोदी ने छः अगस्त को अपने एक बहुत सख्त बयान मैं गौ रक्षकों को रात मैं असामाजिक व् दिन मैं गौ रक्षक करार कर दिया . देश मैं इसकी व्यापक कटु प्रतिक्रया हुयी . मोदी जी के प्रबल समर्थक इससे बहुत निराश हुए .उन्हें इसमें व् राम मंदिर के मुद्दे पर व्यवहार ने मोदी जी का अडवाणीकरण होता प्रतीत हुआ . उनका नया हिन्दू ह्रदय सम्राट भी छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों की लाइन मैं खडा हो गया जिससे उसके शुभ चिंतकों व् मित्रों मैं बहुत क्षोभ है. विश्व हिन्दू परिषद् व् हिन्दू महासभा की तीखी प्रतिक्रया इस क्षोभ का प्रतिबिम्ब है . इसके पहले भी उन्होंने अपने प्रबल समर्थक डॉ स्वामी को रिज़र्व बैंक के गवर्नर राजन के विषय मैं बहुत कटु प्रतिक्रया दी थी जिससे डॉ स्वामी को बहुत क्षोभ हुआ था . डॉ स्वामी का अर्थशास्त्र का ज्ञान सारी बीजेपी से ज्यादा है . उनका अपमान सही नहीं था . बात को और ढंग से भी कहा जा सकता था . मोदी जी ये तल्ख़ बयान कौन दिलवा रहा है ?
प्रश्न यह है की कम बोलने वाले व् राजनीती के मंजे खिलाड़ी मोदी जी को यह सब क्यों करना पड़ रहा है .
इसके पहले मोदी जी को ज्ञात होगा की १९६६ मैं इंदिरा गाँधी के गो ह्त्या पर प्रतिबन्ध लगाने से इनकार करने पर संसद का घेराव हुआ था तथा तत्कालीन गृह मंत्री गुलजारी लाल नंदा को दिल्ली मैं व्यापक हिंसा के बाद पद त्यागना पडा था .
गौ रक्षा को चुनावी मुद्दा बनाने से बिहार मैं कोई लाभ न मिलने से बी जे पी के आला पदाधिकारी उलटे होने पर उतारू हो गए हैं . गो रक्षा धर्म का मामला है राजनीती का नहीं .मोदी जी की छवि को इस बयान से बहुत हानि पहुंची है . इससे मुसलमान या इसाई या कुछ चमडा उद्योग मैं लगे दलित हो सकता हो खुश हो जाएँ परन्तु इसकी तल्खी हिन्दुओं को नागवार गुजरी है .
अधिकाँश हिन्दू गो रक्षकों के पोलिस बनने से दुखी था .उन्हें दलितों पिटाई करने का कोई अधिकार नहीं था . वह मोदीजी की बात से सहमत हैं की कानून कोई भी हाथ मैं नहीं ले सकता चाहे वह गो रक्षक क्यों न हों . .परन्तु यह भी सच है की गो रक्षा कानून का उल्लंघन भी हो रहा था . गो रक्षक कानून के उल्लंघन को ही उजागर कर रहे हैं भले ही उनका तरीका गलत हो .उत्तर प्रदेश के अखलाक ने गो मांस ही रखा था और अब उस पर मुकद्दमा भी दायर हो रहा है . मोदी जी को स्वयं इस कडवे बयान को न देकर अमित शाह या किसी मंत्री से दिलवाना चाहिए था .हिन्दू ह्रदय सम्राट की पदवी अब मोदी जी राममंदिर व् गो रक्षा बयान से लगभग खो चुके हैं .
धर्मनिरपेक्षता मैं बी जे पी कांग्रेस से कैसे भिन्न है . अटल बिहारी जी के गाँधीवादी समाजवाद ने बीजेपी को दो सीट की पार्टी बना दिया था ! यह फिर हो सकता है. हिन्दुओं मैं उनके अल्पसंख्यकों के साथ कोंग्रेस के कार्यकाल मैं पक्षपात बंद न कर पाने का भी रोष है . मुसलमान लड़कियों को हिन्दू लड़कियों से अधिक सुविधाएं किसी को भा नहीं रहीं हैं व् देश के क़ानून का उल्लंघन है.
बीजेपी गुजरात मैं पटेल व् दलितों के आन्दोलन से बहुत घबरा गयी है . उत्तर प्रदेश मैं भी उसे कोई विशेष सफलता मिलती नहीं दीख रही है . मायावती व् मुलायम की पकड़ ढीली करना संभव प्रतीत नहीं होता .परन्तु इससे इतना असंतुलित बयान दे देना भी ठीक नहीं था . इसका दूरगामी परिणाम ठीक नहीं होगा . जनता की राजनीती मैं बीजेपी पिछड़ रही है . मंत्रियों का जनमानस पर प्रभाव नगण्य है. केन्द्रीयकरण का राजनीती पर बुरा असर पड रहा है .
इसका एक और संभावित कारण देशद्रोही मीडिया का गो रक्षकों को असहिष्णुता के पुराने मुद्दे से जोड़ने का प्रयास था . मोदी जी ने उस प्रयास से अपने को बचा लिया . मीडिया तो पुराना पापी है . उससे कोई भी उम्मीद निरर्थक है .परन्तु बी जे पी के पास भी तो अच्छा दिखने के लिए कुछ नहीं है इसलिए वह गो रक्षा पर मीडिया से डर गयी .
आर्थिक प्रगति के आंकड़े मात्र हैं और कहीं भी इतना विकास नहीं दीख रहा जितना धिंडोरा पीटा जा रहा है . बड़े उद्योग बैठे ही हुए हैं .नयी अच्छी नौकरियां बन नहीं रहीं है . ज़मीन अधिग्रहण हो नहीं पा रहा . चीन से सस्ता सामान बनाना संभव नहीं हो पा रहा इस लिए विदेशी निवेश चीन से चौथाई है. खाद्यान विशेषतः दाल की कीमत आसमान को छू रही है वह भी आयात की गड़बड़ से . सिर्फ सड़क व् कोयले से तो देश नहीं चल सकता .बाकि मंत्रालय कुछ विशेष करने मैं अब तक असमर्थ हैं .
मोदीजी की वोटों की आशाएं व्यर्थ हैं क्योंकि न तो मुसलमान न ही इसाई समाज बी जे पी को कभी बहुमत से वोट देगा . यह आशा आधारहीन ही नहीं एक बीजेपी को दिया जाने वाला धोखा है .कुछ प्रतिशत प्रगतिशील मुसलमान व् इसाई बीजेपी का साथ शायद दे दें . इस लिए अपने प्रबल हिन्दू समर्थकों को खोना बीजेपी की भूल होगी . बीजेपी का उन्हें घर की मुर्गी समझना भी गलती होगी . एक बार सब इंदिरा गाँधी की तरफ जा चुके हैं . यह दुबारा भी हो सकता है .यद्यपि अभी देश कांग्रेस के कुशासन को भूला नहीं है और उससे तो यह सरकार अच्छी ही है.
मोदी जी को हिन्दू समाज को पुनः अपनी तरफ करने की आवश्यकता है और उनकी अपेक्षाओं को भी देखना होगा .
आर्थिक प्रगति तो औरंगजेब के काल मैं ही थी . महाराजा रणजीत सिंह व् शिवाजी भी धर्मनिरपेक्ष थे पर उन्होंने काशी विश्वनाथ पर सोना का चादर चढवा दी थी .मराठाओं ने हिन्दू धर्म की रक्षा जी जान से की थी .
क्या मोदी जी भारत को सुरक्षा व् आर्थिक प्रगति देनेवाले औरंगजेब को आदर्श मान सकते हैं ?