India’s Survival Beyond 2050 : 2050 के बाद भारत को आने वाले खतरे व् उनसे बचने की आवश्यक तैय्यारी
जिस रफ़्तार से भारत आगे बढ़ रहा है यह अब सर्वविदित है की भारत विश्व की चीन के बाद विश्व की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा . परन्तु वह तो भारत और चीन १७०० ईस्वी तक हज़ार वर्षों से थे . पर इतनी बड़ी अर्थ व्यवस्था के उपरांत भी हम हजारों साल गुलाम रहे .बल्कि गरीब औरत की अति सुन्दरता की तरह ,हमारी समृद्धि ही हमारे विनाश का कारण बन गयी क्योंकि सिकंदर से लेकर अंग्रेजों तक सब विदेशी आक्रान्ता भारत पर हमले करते रहे और देश पर अंत मैं अपना राज्य स्थापित कर गए . इसलिए यदि हम तैयार नहीं रहे तो हमारी आर्थिक समृद्धि हमारे लिए पुनः विदेशियों के लिए द्वार खोल देगी .
दूसरी बात यह है की इतनी बड़ी अर्थ व्यवस्था होने के बावजूद हमारी प्रति व्यक्ति आय मात्र ५५०० डॉलर प्रति वर्ष होगी जो की अमरीका मैं ५५००० डॉलर प्रतिवर्ष होगी . इसलिए अपने को विदेशियों से मुक्त रखना हमारे लिए बहुत आवश्यक होगा क्योंकि कम से कम सौ आने वाले वर्षों तक हमें निर्बाध रूप से आर्थिक प्रगति करनी होगी तब कहीं हम जा कर अपनी गुलामी के कुप्रभाव को समाप्त कर जनता को आज के अमरीका जैसी सुविधाएं दे पाएंगे जो की देश की किसी भी सरकार का दायित्व है .
तो क्या वह खतरे हैं जिनसे हमें बचने के लिए आज से ही तैय्यारी करनी होगी .
समृद्ध देशों के नारी मुक्ति आन्दोलन ने उनकी पारिवारिक व् व्यवस्था को खोखला कर दिया है और उनकी जनसंख्या बूढी हो रही और वहां रोबोट व् बिना ड्राईवर जैसी करें की टेक्नोलॉजी बढ़ेगी . इनसे उत्पादकता बहुत बढ़ सकती है जिनकी खपत पश्चिम मैं नहीं हो सकेगी .दूसरा उनके बड़े कर्जों के चलते बहुत देश ग्रीस , स्पेन, इटली, पुर्तगाल इत्यादि इस जीवन स्तर पर नहीं रह पाएंगे . इससे बढ़ता असंतोष फिर १८०० ईसवी की तरह एक नए उपनिवेशवाद को जन्म देगा जिससे भारत को सबसे अधिक खतरा होगा . क्योंकि एक अकेले भारत को उपनिवेश बनाकर यूरोप अपनी अर्थ व्यवस्था को संभाल लेगा .भारत को पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था उनकी जनसख्या से एक प्रतिशत अधिक दर से बढ़ने मैं मदद करनी चाहिए क्योंकि टेक्नोलॉजी अगले पचास वर्षों तक पश्चिम से ही आयेगीऔर भारत के मत्र्तापूर्ण सम्बन्ध हमारी मदद करेंगे . .
चीन की मजबूत सरकार मैं सेंध लगाना किसी के बस का नहीं होगा .परन्तु अनेक भाषाओँ , धर्म , जनतांत्रिक राजनीती के प्रलोभन से भारत जैसे देश को तोड़ना बहुत मुश्किल काम नहीं होगा . कश्मीर व् पंजाब मैं हम इसका प्रमाण देख चुके हैं . हाल ही मैं नेपाल के पूरे राजवंश ओ ख़त्म करना किसी बड़ी अंतर्राष्ट्रीय साज़िश का ही परिणाम था .हमें याद रखना चाहिए की मुगलों से तो हम पानीपत के सीधे सैन्य युद्धों से हारे थे जो पकिस्तान य चीन सरीखे देश हम पर पुनः थोप सकते हैं .परन्तु क्लाईव के पास तो हज़ार सैनिक भी नहीं थे . हाल के वर्षों मैं इराक , ईरान , लिबिया सीरिया ,मिस्र क्लाइव निति से ही तोड़े गए हैं .
भारत सरकार पिछले दस वर्षों तक तो राष्ट्रीय सुरक्षा को भूल कर वोट जीतने मैं ही ध्यान केन्द्रित करती रही . नयी सरकार सुरक्षा को महत्व तो दे रही है परन्तु बाबुओं के वर्चस्व के चलते अभी बहुत कम सफलता मिली है .देश को चीन से रक्षा करने मैं समर्थ होने मैं कम से कम दस साल और लगेंगे . परन्तु देश अभी भी क्लाइव की षड्यंत्र नीति , अंतर्राष्ट्रीय मानवीय, धार्मिक स्वतन्त्रता य मौसम को बचाने के नाम पर आर्थिक प्रतिबंधों की नीति ,धर्म . जात , प्रांत , भाषा इत्यादि से उन्माद फैला कर देश को खंडित करने के प्रयासों से देश को बचने के लिए कोई कारगर प्रयास नहीं कर रही है . इसी तरह देश की पोलिस व्यवस्था को हमने इतना असरहीन कर दिया है की आतंकवाद बहुत आसानी से हमें ध्वस्त कर सकता है .
इसके अलावा हमने देश की जनता को वियतनाम की तरह लम्बे जन संघर्ष से आजादी को बचने के लिए तैयार नहीं किया है .शिवाजी की नीतियाँ इस के लिए एक बहुत सुन्दर उदाहरण हैं .
पिछली सरकार ने आई बी , सी बी आई, इत्यादि का राजनितिक उपयोग करके उनकी विश्वसनीयता को कम कर दिया है . हिन्दू आतंक वाद इत्यादि की झूटी कहानियों को प्रचारित कर विदेशियों को भारत मैं प्रभुत्व जमाने दिया है .एन जी ओ के दुरूपयोग से स्थिति बहुत भयावह बना दी थी . इसके अलावा देश मैं जो रक्षा ,अलगाव वाद व् आतंकवाद के खिलाफ एकता थी उसे भी तोड़ दिया . इन सब से देश क्लाइव सरीखी षड्यात्र्कारी चालों का बहुत आसानी से शिकार बन सकता है .
भारत को अपनी प्रजातान्त्रिक प्रणाली मैं इन सब चुनौतियों का सामना करने की क्षमता विकसित करनी होगी जो किसी भी सरकार के लिए एक बड़ी समस्या है . परन्तु भाग्य से आज हमारे पास इन समस्यायों से निपटने के राजनितिक इच्छा शक्ति है .
सरकार को देश को २०५० की समृद्धि की सुरक्षा के लिए अभी से समुचित कदम उठाने होंगे .