न्यायिक अतिक्रमण की दुविधा : Judicial Quandary – Media Crooks
क्या अमरीका या इंग्लैंड मैं कोई क्रिसमस के पेड़ या मोमबत्तियों के ऊपर न्यायालय गया है . सरे विश्व मैं क्रिसमस की रोशनीयाँ होती हैं . क्या किसी ने इसे बिजली का दुरूपयोग बताया है . क्या विश्व का कोई न्यायालय ईद के बकरों की पुकार सुन सकता है . तो यह भारत मैं ही हिन्दू त्योहारों व् मंदिरों के साथ क्यों हो रहा है . विश्व मैं जांबाजी के नए खेल इजाद हो रहे हैं . खतरों से खेलना पुरुषार्थ की निशानी रही है .पैरा ग्लाइडिंग या बनजी जम्पिंग जैसे नए खेल इजाद हो रहे हैं . भारत मैं कितने तैराक मरते हैं परन्तु लोगों ने तैरना तो बंद नहीं कर दिया . घुड़सवारी मैं लोग गिरते हैं . गिरते तो साईकिल चलना सीखने समय भी हैं .सिर्फ भारत मैं न्यायालय दही हाँडी की ऊँचाई तय कर रहे हैं .
दीवाली पर दिल्ली मैं पटाखों की रोक पर वृद्धि बेहद दुखद पहल थी . कैसी कोई जज मान सकता है की उसे बीस करोड़ लोगों से ज्यादा ज्ञान या देश की चिंता है .दिल्ली की दीवाली सूनी करने की जिम्मेवारी किसकी है .
जन हित याचिकाओं को सीमित करना व् जजों के अपने अधिकारों की सीमा जानना भी आवश्यक है अन्यथा देश को यह निर्धारित करना होगा .
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