तो क्या रामायणकालीन है हड़प्पा और मोहनजोदेड़ो के नगर
आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत काल का युद्ध ३१३७ ईसा पूर्व में हुआ था, अर्थात ५१५४ वर्ष पूर्व हुआ था. पहले की खुदाई और शोध के आधार पर माना जाता था कि २६०० ईसा पूर्व अर्थात आज से ४६१६ वर्ष पूर्व हड़प्पा और मोहनजोदेडो नगर सभ्यता की स्थापना हुई थी. कुछ इतिहासकारों के अनुसार इस सभ्यता का काल निर्धारण किया गया है लगभग २७०० ई.पू. से १९०० ई. पू. तक का माना जाता है.
आईआईटी खड़गपुर और भारतीय पुरातत्व विभाग के वैज्ञानिकों ने सिंधु घाटी सभ्यता की प्राचीनता को लेकर नए तथ्य सामने रखे हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक यह सभ्यता ५५०० साल नहीं बल्कि ८००० साल पुरानी थी. इस लिहाज से यह सभ्यता मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यता से भी पहले की है. मिस्र की सभ्यता ७००० ईसा पूर्व से ३००० ईसा पूर्व तक रहने के प्रमाण मिलते हैं, जबकि मेसोपोटामिया की सभ्यता ६५०० ईसा पूर्व से ३१०० ईसा पूर्व तक अस्तित्व में थी. शोधकर्ता ने इसके अलावा हड़प्पा सभ्यता से १०,००० वर्ष पूर्व की सभ्यता के प्रमाण भी खोज निकाले हैं.
वैज्ञानिकों ने सिंधु घाटी की पॉटरी की नई सिरे से पड़ताल की और ऑप्टिकली स्टिम्यलैटड लूमनेसन्स तकनीक का इस्तेमाल कर इसकी उम्र का पता लगाया तो यह ६००० वर्ष पुराने निकले हैं. इसके अलावा अन्य कई तरह की शोध से यह पता चला कि यह सभ्यता ८००० वर्ष पुरानी है. इसका मतलब यह कि यह सभ्यता तब विद्यमान थी जबकि भगवान श्रीराम (५११४ ईसा पूर्व) का काल था और श्रीकृष्ण के काल (३२२८ ईसा पूर्व) में इसका पतन होना शुरू हो गया था.
सिंधु सभ्यता का विस्तार :
वैज्ञानिकों की इस टीम के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार हरियाणा के भिर्राना और राखीगढ़ी में भी था. उन्होंने भिर्राना की एकदम नई जगह पर खुदाई शुरू की और बड़ी चीज बाहर लेकर निकले. इसमें जानवरों की हड्डियां, गायों के सिंग, बकरियों, हिरण और चिंकारे के अवशेष मिले. डेक्कन कॉलेज के आरती देशपांडे ने बताया इन सभी के बारे में कार्बन १४ के जरिये जांच की गई. जिससे यह पता चला की उस दौर में सभ्यता को किस तरह की पर्यावरणीय स्थितियों का सामना करना पड़ा था. सिंधु सभ्यता की जानकारी हमें अंग्रेजों के द्वारा की गई खुदाई से ही प्राप्त होती है जबकि उसके बाद अन्य कई शोध और खुदाईयां हुई है जिसका जिक्र इतिहास की किताबों में नहीं किया जाता.
इसका मतलब यह कि इतिहास के ज्ञान को कभी अपडेट नहीं किया गया, जबकि अन्य देश अपने यहां के इतिहास ज्ञान को अपडेट करते रहते हैं. यह सवाल की कैसे सिंधु सभ्यता नष्ट हो गई थी इसके जवाब में वैज्ञानिक कहते हैं कि कमजोर मानसून और प्राकृति परिस्थितियों के बदलाव के चलते यह सभ्यता उजड़ गई थी. सिंधु घाटी में ऐसी कम से कम आठ प्रमुख जगहें हैं जहां संपूर्ण नगर खोज लिए गए हैं. जिनके नाम हड़प्पा, मोहनजोदेड़ों, चनहुदड़ो, लुथल, कालीबंगा, सुरकोटदा, रंगपुर और रोपड़ है.
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